आरटीओ ऑफिस में लोगों की लाइनें नहीं हो रही कम, मुलाजिमों की कमी से पब्लिक रही परेशान

by Carbonmedia
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आरटीओ कार्यालय के बाहर मंगलवार को लोगों की भीड़ सुबह से शाम तक खड़ी रही। हालात यह थे कि पब्लिक आरटीओ कार्यालय के बाहर खड़े सिक्योरिटी गार्ड के साथ बहसबाजी करती रही और भीड़ को कंट्रोल करने में उसे पूरी जद्दोजहद भी करनी पड़ी। ऑनलाइन चालान को लेकर व्यवस्था काफी पेचीदा है। जिस वाहन का ऑनलाइन चालान काटा जाता है, उन्हें ट्रैफिक पुलिस, ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक और फिर आरटीओ कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे है जबकि इस व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है। मंगलवार को बड़ी संख्या में लोग आरटीओ कार्यालय के बाहर मौजूद रहे और पब्लिक ने हंगामा भी किया। इस दौरान कई लोगों को बिना चालान क्लियर करवाए ही वापस लौटना पड़ा। एक तरफ आरटीओ कार्यालय में पहले से ही मुलाजिमों की कमी चल रही है और दूसरी तरफ चालानों का अतिरिक्त बोझ भी कम करने के लिए हेड ऑफिस स्तर पर कोई पत्राचार नहीं किया जा रहा है। मंगलवार को आरटीओ कार्यालय में एक ही विंडो खुली रही, जबकि रमेश कुमार और मैडम किरण कोर्ट कार्यों में व्यस्त होने के चलते लोगों की लंबी लाइन विंडो पर रही। इस व्यवस्था को बदलने की अहम जरूरत है क्योंकि पब्लिक तीन-चार जगहों पर जाकर हमेशा लाइनों में लगती है। एआरटीओ ज्यादा समय ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर मौजूद रहते हैं। इस लिए चालान भुगतने का काउंटर वहीं होना चाहिए क्योंकि अक्सर लोग ट्रैक पर एआरटीओ की आईडी से चालान क्लियर करवाने के बाद आरटीओ कार्यालय पहुंचते है। ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर ही चालान काउंटर होना चाहिए। इसके अलावा वर्षों पुरानी व्यवस्था है कि देहात और सिटी सहित ट्रैफिक पुलिस जितने चालान काटती है, उसे आरटीओ कार्यालय में भुगता जाता है। जबकि ट्रैफिक पुलिस स्टीकर चालान और टो होने वाली गाड़ियों का चालान अपनी कैशियर की आईडी से क्लियर करते हैं। ऐसे में पुलिस जितने चालान काटती है, उन्हें वहीं पर क्लियर करना चाहिए क्योंकि अब तो ऑनलाइन व्यवस्था है और पुलिस के पास मैन पावर आरटीओ कार्यालय के मुकाबले कहीं ज्यादा है। वर्षों पुरानी व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत सरकार की तरफ से ऑनलाइन चालान की प्रकिया शुरू की गई है। ऑनलाइन चालान होने पर अगर एप्लीकेंट का मोबाइल नंबर आरसी से अटैच है तो वह खुद ही चालान ऑनलाइन भुगत सकता है। इसके अलावा चालान काटने के दौरान मशीन पर भी क्यूआर कोड आता है पब्लिक उसे स्कैन कर मौके पर ही चालान भुगत सकती है। लेकिन जिनके पास मौके पर पैसे नहीं है उनका चालान काटने पर वह ट्रैफिक पुलिस की आईडी में जाता है यहां से चालान एआरटीओ की आईडी में भेजा जाता है जिसे वेरिफाइ के बाद एआरटीओ उस चालान को कैशियर के पास फॉरवर्ड करता है यहां पर लोग लंबी लाइनों में लगकर उसे भुगतते है। लेकिन इस लंबी प्रकिया में हर बार लोगों को लाइनों में लगना पड़ता है। आरटीओ कार्यालय में 1:30 बजे तक चालान भुगते जाते हैं। यहां से फिर आईडी क्लियर करने पर रोजाना कैश बैंक में जमा करवाना होता है।

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