झारखंड मुक्ति मोर्चा के फाउंडर और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने आज दिल्ली में अंतिम सांस ली. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिसके चलते उनको दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के नेफ्रोद डिपार्टमेंट में एडमिट भर्ती करवाया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. इसकी जानकारी देते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके बेटे हेमंत सोरेने ने बताया कि “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं. आज मैं शून्य हो गया हूं.” चलिए, आपको बताते हैं कि किस बीमारी से पीड़ित थे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और यह कितना खतरनाक है.
किस बीमारी से पीड़ित थे शिबू सोरेन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 81 साल के शिबू सोरेन किडनी की बीमारी से पीड़ित थे साथ में वे शुगर और हार्ट की समस्याओं से भी जूझ रहे थे. इसके अलावा उनको कई अन्य तरह की समस्याएं भी थीं. इसके चलते लंबे समय से अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. उन्हें अचानक ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिसके चलते उनको अस्पताल में भर्ती करवाया गया था और वे पिछले 2 दिनों से वेंटीलेटर पर थे.
कितनी खतरनाक है बीमारी
किडनी हमारे शरीर से टॉक्सिन और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने का काम करती है. जब यह ठीक से काम नहीं करती, तो शरीर में हानिकारक तत्व जमा होने लगते हैं. लंबे समय तक ऐसा रहने पर किडनी फेलियर हो सकता है, जिसमें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट जरूरी हो जाता है. किडनी रोग अक्सर डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के कारण बढ़ता है.
डायबिटीज को साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि यह धीरे-धीरे शरीर के हर अंग पर असर डालती है. ब्लड शुगर का स्तर लगातार बढ़ा रहने से नसों को नुकसान पहुंचता है, जिससे किडनी फेलियर और हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. शुगर कंट्रोल न होने पर आंखों की रोशनी कम होना, स्ट्रोक और पैर की नसों में खराबी जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
हार्ट डिजीज का खतरा
हार्ट ब्लॉकेज या हार्ट की मांसपेशियों का कमजोर होना जानलेवा साबित हो सकता है. जिन मरीजों को किडनी और डायबिटीज की समस्या होती है, उनमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इन बीमारियों से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है समय पर जांच, संतुलित आहार और नियमित दवाएं. लापरवाही जानलेवा हो सकती है.
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