गुरुग्राम के फर्रुखनगर में बस स्टैंड की योजना 19 साल बाद भी हकीकत नहीं बन पाई है। 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा घोषित इस योजना के लिए 2015 में 24 कनाल 16 मरला जमीन अधिगृहीत की गई थी। 2017 में यह जमीन परिवहन विभाग को ट्रांसफर कर दी गई। जनवरी 2025 में चारदीवारी का एस्टीमेट बनकर पीडब्ल्यूडी को भेजा गया और टेंडर भी हो गया, लेकिन आज तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। जहां बस स्टैंड बनना था, वह जगह अब झाड़ियों और घास से भरी पड़ी है। नायब तहसीलदार का बयान वहीं न कोई दीवार है, न कोई बोर्ड और न ही कोई निर्माण कार्य के शुरू होने का संकेत दिखाई देता है। परिवहन विभाग को सौंपी गई यह जमीन पूरी तरह बंजर पड़ी है। नायब तहसीलदार अरुणा के अनुसार, कब्जा हटाने के प्रयास के दौरान किसानों ने विरोध किया। किसानों का मुआवजा नहीं मिलने का आरोप किसानों का कहना है कि उन्हें मुआवजा नहीं मिला है। अब इस मामले की रिपोर्ट बनाकर उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि हर चुनाव से पहले नेता बस स्टैंड बनाने का आश्वासन देते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई भी इस ओर ध्यान नहीं देता। फर्रुखनगर के आसपास के 50 से अधिक गांवों के लोग इसी कस्बे से बस पकड़ते हैं। लेकिन उन्हें आज भी उचित बस स्टैंड की सुविधा नहीं मिल पाई है। इस प्रकार, दो दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद फर्रुखनगर बस स्टैंड योजना अब तक फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई है। जनता के लिए यह योजना अब एक झूठा वादा बनती जा रही है।
फर्रुखनगर में फाइलों में दफन बस स्टैंड योजना:2015 में जमीन अधिग्रहण, किसान बोले-मुआवजा नहीं मिला, चुनाव से पहले मिलता है आश्वासन
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