Banke Bihari Corridor: वृंदावन के प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बेहद नाराज नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा है कि यह हमारी धार्मिक मान्यताएं तोड़ने जैसा है. अगर ठाकुर जी के मंदिर में कोई निर्माण करना है, तो सबसे पहले वहां के धर्माचार्य से पूछना चाहिए. लेकिन सरकार अपनी योजना लेकर सीधा मंदिर में प्रवेश कर रही है. सुविधा व्यवस्थाएं बढ़ाने के नाम पर इस प्रकार से मंदिर को सरकारी कब्जे में लेना सनातनी मर्यादा को तोड़ने जैसा होगा. इससे पहले भी हमने वाराणसी में देखा कि कॉरिडोर के नाम वहां कैसे धार्मिक मान्यताओं को तोड़ा गया. भगवान के मंदिर के पास तक राजनेताओं के वाहन खड़े हो रहे हैं. क्या यह उचित है.
वहीं अविमुक्तेश्वरानंद ने सांसद हेमा मालिनी द्वारा बांके बिहारी कॉरिडोर का समर्थन करने पर कहा कि वे मुसलमान हैं उनको धर्म का ज्ञान नहीं है.
हेमामालिनी से बेहद नाराज है शंकराचार्य
अभिनेत्री और मथुरा सांसद हेमा मालिनी द्वारा बांके बिहारी कॉरिडोर का समर्थन करने पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हेमा मालिनी जी मुसलमान है, विवाह करने के लिए उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया. उन्हें इसके बारे में जानकारी कैसे होगी. बचपन से उन्होंने फिल्मों में काम किया है, उनके कहने पर अगर हमारी धार्मिक मान्यताएं तोड़ी जाएंगी तो हम समझेंगे की वृंदावन के लोगों ने गैर हिंदू प्रतिनिधि को चुनकर के भूल कर दी. आप जितनी सुविधाएं बढ़ाएंगे स्वाभाविक है, और अपेक्षाएं रहेगी ही. सरकार ने एक बार भी धर्माचार्य से पूछा, धर्माचार्य से विचार विमर्श किया. सरकार सीधा आई और मंदिर में अपने योजना को लेकर घुस गई.
पहले गोरखनाथ मंदिर को ट्रस्ट घोषित करें-शंकराचार्य
वहीँ शंकराचार्य ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अगर सरकार के अंदर यह भावना है तो सबसे पहले गोरखनाथ मंदिर के अंदर ट्रस्ट बनवाकर क्यों नहीं सौंप दिया जाता है. अपना मंदिर आप अपने हाथ में रखे हैं और आप हमारे मंदिर में हस्तक्षेप कर रहे हैं. हम दो तरह की बात को स्वीकार नहीं करेंगे. वाराणसी में विश्वनाथ जी के मंदिर में हमने देखा कि किस तरह से मर्यादा तोड़ी गई. आप वाहन लेकर हमारे मंदिर तक घुस आते हैं, जबकि यह हमारे धर्मस्थल की मर्यादा नहीं है. राजनेताओं की गाड़ियां हमारे भगवान के चौखट तक आ जाए तो यह मर्यादा तोड़ने की बात हुई कि नहीं. सुविधा व्यवस्थाएं बढ़ाने के लिए हमने तो कभी नए संसद का प्रस्ताव नहीं दिया, हस्तक्षेप नहीं किया वैसे ही हमारे मंदिर के प्रस्ताव के बारे में आप पहले धर्माचार्यो से पूछिए तो.