भारत ने ओवल टेस्ट में 6 रनों से करीबी जीत हासिल की है. यह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में भारत की सबसे कम रनों के अंतर से आई जीत है. एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी 2-2 से बराबरी पर छूटी. पहली पारी सिर्फ 224 रनों पर सिमटने से लेकर 6 रनों की ऐतिहासिक जीत दर्ज करने तक पांचवें टेस्ट में बहुत कुछ घटा. यहां जानिए किन 5 कारणों से ओवल टेस्ट में भारतीय टीम जीत दर्ज कर पाई.
अच्छे लीडर साबित हुए मोहम्मद सिराज?
जसप्रीत बुमराह पांचवां टेस्ट नहीं खेल रहे थे, ऐसे में मोहम्मद सिराज भारत के सबसे अनुभवी तेज गेंदबाज थे. उन्होंने पेस अटैक को लीड करते हुए मैच में कुल 9 विकेट झटके. सिराज मानसिक रूप से बहुत मजबूत नजर आए, उनकी हर एक गेंद इंग्लैंड के बल्लेबाजों से सवाल पूछ रही थी. उन्हीं की शारीरिक भाषा को देख प्रसिद्ध कृष्णा और आकाशदीप की गेंदबाजी में अलग ही धार दिखी.
आखिरकार बल्लेबाजी में गहराई काम आई
पूरी सीरीज में भारतीय टीम मैनेजमेंट ने बल्लेबाजी में गहराई की रणनीति अपनाई है. पहली पारी में भारत के 6 विकेट 153 रन पर गिर गए थे, लेकिन आखिरी 4 विकेटों ने 71 रन जोड़कर जैसे-तैसे भारत को 224 के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया. वहीं दूसरी पारी के अंत में वाशिंगटन सुंदर ने 53 रनों की पारी खेल, भारत का स्कोर 400 के करीब पहुंचाया था. सुंदर की यह पारी ना आई होती तो शायद इंग्लैंड को 330-340 का लक्ष्य मिला होता.
गेंदबाजी में मिला अच्छा सपोर्ट
आमतौर पर देखा गया है कि भारत का लीड गेंदबाज अच्छा कर रहा होता है, लेकिन उसे सपोर्ट नहीं मिलता. ओवल टेस्ट में एक तरफ मोहम्मद सिराज ने लीड करते हुए 9 विकेट लिए, वहीं प्रसिद्ध कृष्णा ने उन्हें पूरा सपोर्ट देते हुए मैच में कुल 8 विकेट लिए.
पांचवें दिन नहीं ली नई बॉल
पांचवें दिन इंग्लैंड को जीत के लिए 35 रन बनाने थे. पांचवें दिन 4 ही ओवर फेंके गए थे और पारी में 80 ओवरों के बाद भारतीय टीम के लिए नई गेंद उपलब्ध हो चुकी थी. सिराज और कृष्णा पुरानी गेंद को खूब स्विंग करवा रहे थे, इससे इंग्लिश बल्लेबाज कई बार बीट हुए. भारत ने नई गेंद ले ली होती तो शायद उसमें पुरानी गेंद से ज्यादा बाउंस हो सकता था, ऐसे में बल्लेबाजों के लिए बैट और गेंद का कनेक्शन करना थोड़ा आसान हो जाता.
सबसे अहम मौके पर काम आए जायसवाल
यशस्वी जायसवाल ने ओवल टेस्ट से पहले 8 पारियों में 323 रन बनाए थे. वहीं इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज की पिछली 6 पारियों में जायसवाल लगातार फ्लॉप होते आ रहे थे. आखिरकार जायसवाल ने तब शतक लगाया, जब इंग्लैंड ओवल टेस्ट की पहली पारी में 23 रनों की बढ़त हासिल कर चुका था. दूसरी पारी में जायसवाल ने अपनी बड़ी पारी के सूखे का अंत करते हुए 118 रन बनाए. उनकी बदौलत दूसरी पारी में भारत 396 रनों तक पहुंच पाया था.
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