रणदीप सुरजेवाला ने HPSC को बताया हेराफेरी सर्विस कमीशन:कहा- HSSC मतलब हेराफेरी सेटिंग सर्विस कमीशन, भर्तियों को लेकर मांगा जवाब

by Carbonmedia
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कैथल के पूर्व विधायक एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने HPSC को हेरा फेरी सर्विस कमीशन और HSSC को हेराफेरी सेंटिंग सर्विस कमीशन बताया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट डालकर भर्तियों के मामले में सरकार पर तंज कसा है। सात साल से असिस्टैंट प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं सुरजेवाला ने कहा कि साल 2019 के बाद सात साल तक असिस्टैंट प्रोफेसर (कॉलेज कैडर) की भाजपा सरकार ने नियुक्ति ही नहीं की। अगस्त, 2024 में 26 सब्जेक्ट्स के 2,424 असिस्टैंट प्रोफेसर के पदों की एडवर्टाइजमेंट निकाली। 1,50,000 युवाओं ने अप्लाई किया। आज तक कैमिस्ट्री, हिंदी, हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस, बॉटनी आदि के एग्जाम हो चुके। 29 मई, 2025 को हुए असिस्टैंट प्रोफेसर, पॉलिटिकल साइंस के पेपरों की सील टूटी मिली। शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं मुख्यमंत्री नायब सैनी से लेकर पंचकूला डीसी तक सबको शिकायत की गई। कुछ कमरों में न सीसीटीवी कैमरा लगाया और न ही मोबाइल जैमर। प्रश्नपत्रों के कुछ पैकेट पूरी तरह से खुले थे। इससे साफ है कि यह सब पेपर लीक माफिया की मिलीभगत से हुआ। इसी तरह के इल्जाम असिस्टैंट प्रोफेसर, पॉलिटिकल साइंस के एग्जाम में लगे। 1 जून 2025 को असिस्टैंट प्रोफेसर हिंदी का पेपर हुआ। एक बार फिर प्रश्न पत्रों के 6 लिफाफों की सील टूटी मिली। लिफाफे खुले थे और फिर मुख्यमंत्री सहित सबको शिकायत की गई। HPSC ने ऑर्डर जारी किया और कहा कि केवल पैक करते हुए पेपर की सील टूट गई है और कोई गड़बड़ नहीं। 3 जून को HPSC द्वारा असिस्टैंट प्रोफेसर हिंदी का पेपर कैंसिल कर दिया गया। इससे एक बात साफ है। हेराफेरी भी हुई, पेपर लीक भी हुआ, सीना-जोरी भी हुई, पर्दा भी डाला गया और फिर घबराकर पर्दा उठ भी गया तथा पेपर कैंसिल करना पड़ा। इससे असिस्टैंट प्रोफेसर के 2,424 पदों के लिए अप्लाई किया और उनका भविष्य दांव पर लगा दिया गया। शिकायतों को किया गया खारिज उन्होंने सरकार से सवाल किए कि प्रश्नपत्रों की सील असिस्टैंट प्रोफेसर, कैमिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस व हिंदी तीनों की श्रेणी में टूटी पाई गई, बहुत सारी शिकायतें हुईं और सबको HPSC ने खारिज कर दिया। तो फिर मुख्यमंत्री बताएं कि असिस्टैंट प्रोफेसर कैमिस्ट्री व पॉलिटिकल साइंस का पेपर क्यों कैंसिल नहीं किया गया? अगर परीक्षा सेंटर में लगे सीसीटीवी कैमरा को खंगाला जाए, तो यह साबित नहीं हो जाएगा कि असिस्टैंट प्रोफेसर, कैमिस्ट्री व हिंदी के प्रश्नपत्रों की सील भी टूटी मिली थी? तो फिर, मुख्यमंत्री सीसीटीवी कैमरा की रिकॉर्डिंग को खंगाल कर जांच करवाने से इनकार क्यों कर रहे हैं? यह सब पेपर लीक माफिया और HPSC व हरियाणा सरकार की मिलीभगत दर्शाता है। उन्होंने इसके लिए सीएम से जवाब भी मांगा है।

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