देश में खेल प्रशासन और खिलाड़ियों की शिकायत निवारण व्यवस्था को पूरी तरह बदलने वाला नया विधेयक संसद में सोमवार (4 अगस्त, 2025) को पेश किया गया है. इस बिल में खेल संघों के संचालन से लेकर खिलाड़ियों के अधिकारों और वित्तीय पारदर्शिता तक कई बड़े बदलाव लाने का जिक्र है.
खेल संघों में कार्यकाल और उम्र सीमा तय
विधेयक के अनुसार, किसी भी खेल संघ में अध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष अधिकतम तीन लगातार कार्यकाल यानी कुल 12 वर्ष तक ही अपने पद पर बने रह सकते हैं. पदाधिकारियों के लिए आयु सीमा 70 वर्ष तय की गई है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप इसे नामांकन के समय 75 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है.
छोटी और संतुलित कार्यकारी समितियां
किसी भी खेल संघ की कार्यकारी समिति में अब अधिकतम 15 सदस्य ही होंगे. इसमें कम से कम दो उत्कृष्ट खिलाड़ी और चार महिलाएं शामिल करना अनिवार्य होगा. यह कदम खेल प्रशासन में लैंगिक समानता और खिलाड़ियों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) होगा सर्वोच्च प्राधिकरण
इस विधेयक की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) का गठन है. यह बोर्ड देश के सभी राष्ट्रीय खेल संघों (NSFs) को मान्यता देने या निलंबित करने का सर्वोच्च अधिकार रखेगा. साथ ही यह बोर्ड अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों के साथ सहयोग कर खिलाड़ियों के कल्याण के लिए काम कर सकेगा.
NSB के सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी. नियुक्ति के लिए एक खोज सह चयन समिति बनाई जाएगी, जिसके अध्यक्ष कैबिनेट सचिव या खेल सचिव होंगे. समिति में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के महानिदेशक, दो अनुभवी खेल प्रशासक और एक प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी शामिल होंगे.
मान्यता रद्द करने के अधिकार और पारदर्शिता पर जोर
बोर्ड को यह अधिकार होगा कि अगर कोई खेल संगठन समय पर चुनाव नहीं कराता, चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी होती है या सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करता है, तो उसकी मान्यता रद्द या निलंबित कर सके. हालांकि ऐसा करने से पहले संबंधित वैश्विक संस्था से परामर्श अनिवार्य होगा. सिर्फ वही खेल संघ केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता या मदद प्राप्त कर पाएंगे, जिन्हें राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) से मान्यता मिली होगी.
खेल जगत में नए युग की तैयारी
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक देश में खेल प्रशासन को अधिक पारदर्शी बनाने और खिलाड़ियों की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है.
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