झज्जर जिले में मानसून में बारिश अधिक होने के कारण जहां फसलें जलभराव से तो खराब हो ही रही हैं। वहीं अब कपास की फसल में बीमारियां लगने का भी भय हो गया है। कपास की फसल का अब विशेष ध्यान रखना किसानों के लिए जरूरी हो गया है। इस समय के दौरान कपास की फसल में गुलाबी सुंडी जैसी बीमारी का आने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं। कृषि विभाग के एसडीओ जगजीत सिंह सांगवान ने बताया कि इस समय के दौरान कपास की फसलों में रोगों के आने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं जिससे कि किसानों की कपास की फसल पर खराब होने लगती है। जिसके कारण फसल के उत्पादन पर भी असर पड़ता है और कमी आती है। एसडीओ ने बताया कि गुलाबी सुंडी रोग से बचाव के लिए लगातार फसल की निगरानी करनी पड़ेगी। क्या हैं कपास में रोग से बचाव के उपाय
डीडीए जितेंद्र अहलावत ने बताया कि यह कीट कपास की कलियों को अंदर से खोखला कर देता है, जिससे फसल को भारी नुकसान होता है। इसे पहचानने के लिए किसान रोजेट फ्लावर, कली के अंदर काले टिड्डियों जैसे कीट और खोखली कलियों पर ध्यान दें। उन्होंने बताया कि प्रत्येक एकड़ में दो फेरोमोन ट्रैप लगाएं और हर 3 दिन में कीटों की संख्या की जांच करें। हर सप्ताह दो बार 100 कलियों की जांच करें। यदि 5-10 कलियां संक्रमित पाई जाएं तो तुरंत उसका इलाज करें और फसल कारे बचाएं। कृषि विशेषज्ञों के बाद करें दवा का प्रयोग कीट के प्रकोप की स्थिति में केवल कृषि विभाग की सलाह के अनुसार दवाओं (कीटनाशकों) का ही छिड़काव करें। किसान किसी भी स्थिति में बिना सलाह के कीटनाशकों का प्रयोग न करें। कीट प्रकोप से पहले सावधानी और समय रहते बचाव ही नुकसान से सुरक्षा का सबसे बड़ा उपाय है। अधिक जानकारी के लिए किसान टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 पर संपर्क कर सकते हैं या अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से जानकारी ले सकते हैं।
झज्जर में कपास पर मंडराया बीमारी का साया:कृषि विशेषज्ञ बोले किसानों को रखना होगा विशेष ध्यान, सलाह से ही करें दवा का छिड़काव
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