Kartavya Bhawan: कर्तव्य भवन का उद्घाटन करेंगे PM मोदी, जानें आखिर बनाया क्यों गया है, क्या है खासियत

by Carbonmedia
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार (6 अगस्त, 2025) को दिल्ली के कर्तव्य पथ स्थित कर्तव्य भवन का उद्घाटन करेंगे. प्रधानमंत्री शाम लगभग साढ़े 6 बजे कर्तव्य पथ पर एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. पीएम जिसका उद्घाटन करेंगे, वो कर्तव्य भवन-3 है. यह सेंट्रल विस्टा के व्यापक परिवर्तन का एक हिस्सा है. 
यह कई आगामी कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरियट भवनों में से पहला है, जिसका उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित और चुस्त शासन को सक्षम बनाना है. यह परियोजना सरकार के व्यापक प्रशासनिक सुधार के एजेंडे का प्रतीक है. वर्तमान में, कई प्रमुख मंत्रालय 1950 और 1970 के दशक के बीच निर्मित शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन समेत कई पुरानी इमारतों में हैं.
विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को एक साथ करने की कवायदये पुरानी इमारतें काफी अक्षम हो चुकी हैं. ऐसे में अब नए भवनों की मरम्मत और रखरखाव की लागत कम होगी. कर्तव्य भवन-03 के उद्घाटन के बाद अब दिल्ली भर में फैले विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को एक साथ लाकर नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है. यह एक अत्याधुनिक कार्यालय परिसर होगा जो लगभग 1.5 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला होगा और इसमें दो बेसमेंट और सात मंजिलें (भूतल+6 मंजिल) होंगी.
इसमें गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय होंगे. यह नया भवन आधुनिक प्रशासनिक ढांचे का प्रतीक होगा, जिसमें आईटी-समर्थित और सुरक्षित कार्यस्थल, आईडी कार्ड-आधारित प्रवेश नियंत्रण, एकीकृत इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और एक केंद्रीकृत कमांड सिस्टम शामिल होगा.
जानें इसकी खासियत इस कार्यालय में रूफटॉप सोलर, सोलर वॉटर हीटिंग, उन्नत एचवीएसी, (हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग) सिस्टम और बारिश के पानी के संचयन के साथ जीआरआईएचए-4 रेटिंग प्राप्त करने का लक्ष्य रहेगा. कर्तव्य भवन पानी की जरूरतों के एक बड़े हिस्से को पूरा करने के लिए अपशिष्ट जल का उपचार और पुन: उपयोग करता है. इस भवन में चिनाई और फ़र्श के ब्लॉकों में रिसाइकल की गई निर्माण सामग्री और मलबे का उपयोग किया जाता है, ऊपरी मिट्टी के उपयोग और संरचनात्मक भार को कम करने के लिए वजन में हल्के और शुष्‍क विभाजन किए गए हैं.
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