Deepfake: डीपफेक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से तैयार किए गए बेहद रियल दिखने वाले नकली वीडियो, ऑडियो और इमेज होते हैं. इसमें किसी व्यक्ति की शक्ल या आवाज़ को किसी दूसरे संदर्भ में जोड़ दिया जाता है जैसे कि किसी फिल्म सीन में एक्टर की शक्ल बदल देना या किसी राजनेता से वह बातें कहलवाना जो उसने कभी कही ही नहीं. जहां एक ओर ये कभी-कभी मनोरंजक लग सकते हैं, वहीं दूसरी ओर ये व्यक्ति की पहचान और निजता के अधिकार को चुनौती देते हैं. 2023 में अमेरिका में कलाकारों ने AI से अपनी छवि की रक्षा के लिए हड़ताल तक कर दी थी.
डेनमार्क क्यों कर रहा है कड़ा कानून?
डेनमार्क सरकार अब AI द्वारा बनाए गए डीपफेक कंटेंट पर नियंत्रण के लिए अपने कॉपीराइट कानून में संशोधन की तैयारी कर रही है. यह संशोधन व्यक्ति की शक्ल और आवाज़ जैसी डिजिटल पहचान को सुरक्षा देने के लिए है जो यूरोप में इस तरह की पहली कानूनी पहल मानी जा रही है.
सरकार का इरादा है कि इस संशोधन को 2025 की शरद ऋतु में संसद में पेश किया जाए जिसे विभिन्न राजनीतिक दलों का समर्थन मिल रहा है. इसका उद्देश्य सिर्फ मज़ाक या फेक वीडियो नहीं बल्कि नकली खबरें, वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर क्राइम जैसी गंभीर चुनौतियों से निपटना है.
डीपफेक से जुड़ी घटनाएं और खतरे
यूक्रेन और अमेरिका के नेताओं के नकली वीडियो वायरल हुए जिससे जनता में भ्रम फैला. UK की एक इंजीनियरिंग कंपनी Arup से एक AI-generated वीडियो कॉल के ज़रिए $25 मिलियन की ठगी हुई. Ferrari पर भी CEO की नकली आवाज़ से ठगी की कोशिश की गई थी. एक पत्रकार ने अपनी खुद की आवाज़ की नकली कॉपी से बैंक का वॉइस सिस्टम क्रैक कर दिया. AI सुरक्षा फर्म Resemble.ai की रिपोर्ट के मुताबिक 2025 की दूसरी तिमाही में 487 डीपफेक हमले दर्ज हुए जो पिछले साल की तुलना में 300% ज़्यादा हैं. इनमें कुल अनुमानित $350 मिलियन का आर्थिक नुकसान हुआ.
दुनिया क्या कर रही है डीपफेक से निपटने के लिए?
अमेरिका में Take It Down Act जैसे कानून बनाए गए हैं जो 48 घंटे में हानिकारक डीपफेक हटाने की अनिवार्यता और फेडरल सजा तय करते हैं. EU का Digital Services Act (DSA) ऑनलाइन गलत सूचनाओं और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए 2024 से लागू है. UK ने 2025 में Online Safety Act को अपनाया जिससे डिजिटल प्लेटफॉर्मों की जवाबदेही बढ़ी है.
डेनमार्क का प्रस्तावित कानून यह सुनिश्चित करेगा कि यदि किसी व्यक्ति की छवि या आवाज़ का दुरुपयोग हुआ है तो वह उस सामग्री को हटवाने और मुआवज़ा मांगने का अधिकार पा सकेगा वो भी कलाकार की मृत्यु के 50 साल बाद तक. इसके अलावा, सोशल मीडिया कंपनियां जैसे Meta और X पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है यदि वे इस कानून का उल्लंघन करती हैं.
यह भी पढ़ें:
Facebook का खुफिया खेल! ऐसे रखी Snapchat और YouTube पर पैनी नजर, जानें पूरी जानकारी
Deepfake पर सरकार की सख्ती! डिजिटल पहचान बचाने के लिए आ रहा नया कानून
2