झांसी में चोरी और गबन का एक केस 49 साल बाद फिर सुर्खियों में है. इस केस का फैसला सुनाने में कोर्ट को 49 साल लग गए. ये फैसला तब आ पाया, जब आरोपी ने कोर्ट में खुद ही जुर्म स्वीकार लिया. आरोपी ने कोर्ट से कहा ये जुर्म मैंने ही किया है. तारीख पर आते-आते थक गया हूँ जज साहब अब केस लड़ने की शक्ति नहीं है.
आरोपी ने बीमारी का हवाला देकर रहम की गुहार भी लगाई. तब कोर्ट ने शनिवार को आरोपी को दोषी करार देते हुए जेल में बिताई अवधी की सजा सुनाई. उस पर 2000 रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया. इस केस में 3 आरोपी थे. दो की केस सुनवाई के दरमियां मौत भी हो चुकी है.
150 की घड़ी और रसीद बुक चोरी का है केस
टहरौली थाना क्षेत्र के बमनुआ गांव स्थित एलएसएस सहकारी समिति में मध्य प्रदेश के ग्वालियर निवासी कन्हैया लाल पुत्र गजाधर चपरासी था. साथ में लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ भी कर्मचारी थे. 1976 में तत्कालीन सचिव बिहारीलाल गौतम ने टहरौली थाने में तहरीर दी थी. जिसमें बताया कि तीनों ने रसीद बुक और 150 रुपए कीमत की घड़ी चोरी की.
फिर रसीद बुक पर सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर करके कूटरचना करते हुए लोगों से 14472 रुपए वसूल किए. लक्ष्मी प्रसाद ने 3887.40 रुपए की रसीद काट ली. पुलिस ने चोरी और गबन का केस दर्ज करके तीनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. बाद में कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया.
दो आरोपियों की पहले ही हो चुकी है मौत
कुछ समय जेल में रहने के बाद तीनों आरोपियों की जमानत हो गई थी. सुनवाई के दौरान लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ की मौत हो गई. जबकि कन्हैया लगातार तारीख पर जा रहा था. मगर फैसला नहीं आ पाया. तब 68 साल के आरोपी कन्हैया लाल ने कोर्ट में स्वेच्छा से अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. कहा- मैं वृद्ध और बीमार हूं. कई सालों से कोर्ट में तारीख पर आते-आते परेशान हो गया हूं. अब मुकदमा लड़ने की शक्ति नहीं है. मैंने खुद अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. इसलिए याचना है कि कम से कम दण्ड दिया जाए.
अदालत ने लगाया 2 हजार का जुर्माना
झांसी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुन्नालाल ने आईपीसी की धारा 457, 380, 409, 467, 468 और 120(बी) का अपराध करने में कन्हैया लाल दोषी करार दिया. सभी धाराओं में उसे जेल में बिताई गई अवधि की सजा और 2 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया.
Jhansi News: 150 रुपये की घड़ी चोरी मामले में 49 साल बाद आया फैसला, अदालत ने दोषी पर लगाया दो हजार जुर्माना
2