‘आखिरी वक्त तक बिना डरे सच बोलते रहे’, सत्यपाल मलिक के निधन पर राहुल गांधी ने दी श्रद्धांजलि

by Carbonmedia
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जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गहरा दुख व्यक्त किया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश लिखा. राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा- “पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी के निधन की खबर सुनकर बेहद दुख हुआ. मैं उन्हें हमेशा एक ऐसे इंसान के रूप में याद करूंगा, जो आखिरी वक्त तक बिना डरे सच बोलते रहे और जनता के हितों की बात करते रहे.” राहुल गांधी ने इस संदेश के जरिए सत्यपाल मलिक के परिवारजनों, समर्थकों और शुभचिंतकों के प्रति भी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं.
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को 79 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 11 मई को भर्ती कराया गया था. वे लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और मंगलवार दोपहर 1 बजे अंतिम सांस ली.
अनुच्छेद 370 के ऐतिहासिक क्षण के साक्षीसत्यपाल मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल रहे. उनके कार्यकाल में 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाया गया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया. संयोगवश, उनकी मृत्यु उसी तारीख को हुई जब यह फैसला लिया गया था.

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी के निधन की ख़बर सुनकर बेहद दुख हुआ।मैं उन्हें हमेशा एक ऐसे इंसान के रूप में याद करूंगा, जो आख़िरी वक्त तक बिना डरे सच बोलते रहे और जनता के हितों की बात करते रहे।मैं उनके परिवारजनों, समर्थकों और शुभचिंतकों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। pic.twitter.com/raENEwDCjK
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 5, 2025

राजनीतिक और प्रशासनिक करियरमलिक बिहार, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे. उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और 1968-69 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने. वे 1974 से राजनीति में सक्रिय रहे और कई बार राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य भी रहे. उन्होंने केंद्र में राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया.
राजनीतिक यात्रा में बदलावमलिक ने लोकदल, कांग्रेस, जनता दल और भाजपा जैसे दलों से जुड़ाव रखा. बोफोर्स कांड के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ी और वीपी सिंह के साथ जनता दल में शामिल हुए. 2004 में वे भाजपा में आए और भूमि अधिग्रहण विधेयक की समीक्षा समिति के प्रमुख बने.
बेबाक आवाज और किसान समर्थनराज्यपाल पद से हटने के बाद उनका रुख सरकार के प्रति आलोचनात्मक हो गया. उन्होंने मोदी सरकार की किसान नीतियों की खुलकर आलोचना की और 2022 में सपा-रालोद के समर्थन का ऐलान किया. उन्होंने खुद को किसानों के पक्ष में मार्गदर्शक बताया और राजनीति में सक्रिय भागीदारी से इंकार किया.

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