दिल्ली हाईकोर्ट ने सड़कों पर घूम रहे आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए कहा कि कुत्ते इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त है और उन्हें भी गरिमा के साथ रहने का अधिकार है. दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस मिनी पुष्कर्णा की बेंच ने इस मामले में सभी संबंधित पक्षों को आवारा कुत्तों के पुनर्वास को लेकर मजबूत सिफारिश देने के लिए कहा है.
कोर्ट ने कहा कुत्ते दुनिया के सबसे प्यारी जानवर हैं और इंसानों के अच्छे दोस्त भी. ऐसे में उनसे इज्जत से पेश आना चाहिए. कुत्ते या तो घर में हो या सड़कों पर कचरा खाते हुए नहीं दिखना चाहिए. इससे इंसान और कुत्ते दोनों ही परेशान हैं. ना इंसान सुरक्षित हैं और ना ही कुत्ते.
‘कुत्तों के शेल्टर को तोड़ने की बात आई सामने’
दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि 200 से अधिक कुत्तों को अस्थाई शेल्टर में रखा गया था, लेकिन अब उस शेल्टर को एमसीडी द्वारा तोड़ा जाने वाला है, जिससे यह कुत्ते दोबारा सड़कों पर आ सकते हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि बेलगाम हो चुकी समस्या के समाधान के लिए केवल नसबंदी पर निर्भर नहीं रहा जा सकता. कोर्ट ने कहा पिछले 3 दशकों से नसबंदी का समाधान सामने आ रहा है, लेकिन अब तक कुछ भी नहीं बदला. नसबंदी काम नहीं कर रही या समाधान नहीं है.
‘दिल्ली में 78 पशु अस्पताल नहीं कर रहे काम’
दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यह भी पाया कि दिल्ली में कई एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर और करीब 78 एनिमल हॉस्पिटल भी काम नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिया कि वह दिल्ली सरकार, एमसीडी और एनिमल बोर्ड ऑफ इंडिया के साथ बैठक बुलाएं और आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर संस्थागत पुनर्वास की तैयरी करें.
17 सितंबर को अगली सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट 17 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई करेगा. इससे पहले हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि आवारा कुत्तों को चरणबद्ध तरीके से सड़कों से हटाकर संस्थागत स्तर पर पुनर्वास के लिए नीति बनाई जाए, जिससे इंसान और पशु दोनों सुरक्षित रह सकें.
कुत्ते इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त, उन्हें गरिमा से जीने का हक- दिल्ली हाईकोर्ट
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