Bakrid 2025: जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बकरीद से पहले अरफा के दिन की फजीलत (महत्ता) पर एक अहम बयान दिया है. उन्होंने एक प्रसिद्ध हदीस का हवाला देते हुए कहा कि यह दिन अल्लाह की रहमतों और माफी मांगने का सबसे बड़ा मौका होता है.
मौलाना मदनी ने एक्स पर एक ट्वीट में लिखा, “हजरत आयशा (रज़ि.) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया, कोई भी दिन ऐसा नहीं है जिसमें अल्लाह तआला जहन्नम से इतनी बड़ी संख्या में लोगों को आजाद करता हो जितना कि अरफा के दिन करता है. वह (अल्लाह) करीब आता है और फिर अपने बंदों पर फ़ख्र करते हुए फरिश्तों से कहता है- इन लोगों का मकसद क्या है?”
عن عائشة رضي الله عنها، أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: (ما من يوم أكثر أن يعتق الله فيه عبيدا من النار من يوم عرفة، إنه ليدني، ثم يباهي بهم الملائكة، فيقول: ما أراد هؤلاء).
رواه مسلم (1348)#EidulAdha2025
— Arshad Madani (@ArshadMadani007) June 6, 2025
मौलाना मदनी ने कही ये बड़ी बात
उन्होंने कहा कि यह हदीस अरफा के दिन की अहमियत को पूरी तरह बयान कर देती है. यह दिन न केवल हाजियों के लिए, बल्कि हर मुसलमान के लिए दुआ, रोजा, तौबा और अल्लाह की तरफ आने का दिन है. मौलाना मदनी ने मुसलमानों से अपील की कि वे अरफा के दिन को गनीमत समझते हुए ज्यादा से ज्यादा इबादत, इस्तिगफार (माफी मांगना) और दुआओं में व्यस्त रहें. यह वह दिन है जब अल्लाह तआला अपने बंदों की तरफ झुकता है और उन्हें माफ करता है.
क्यों खास है अरफा का दिन?
अरफा का दिन इस्लामी कैलेंडर के 9वें ज़िलहिज्जा को आता है और यह हज का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. यह दिन न सिर्फ हाजियों के लिए, बल्कि पूरी उम्मत-ए-मुस्लिम के लिए भी बेहद महत्त्व और रहमत वाला होता है. अरफा का दिन रहमत, मगफिरत और निजात का दिन है. यह अल्लाह की तरफ लौटने का बेहतरीन मौका है. जो लोग हज नहीं कर रहे हैं, उनके लिए भी यह दिन अल्लाह को नजदीक आने का सुनहरा अवसर है.
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