ऑनलाइन गेमिंग विधेयक को कैबिनेट की हरी झंडी, इन मामलों में तीन साल की सजा और भारी जुर्माना

by Carbonmedia
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार (19 अगस्त, 2025) को ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक को मंजूरी दे दी. इसमें पैसों से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग या इसके विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने के प्रावधान के साथ इन्हें पेश करने या विज्ञापन देने वालों के लिए कारावास या जुर्माना, या दोनों का प्रावधान किया गया है, एक सूत्र ने यह जानकारी दी. इसमें ऐसे खेलों को ई-स्पोर्ट्स या ऑनलाइन सोशल गेम्स से अलग किया गया है, जो बुधवार (20 अगस्त, 2025) को संसद में पेश किये जाने की उम्मीद है. 
सूत्र ने कहा कि विधेयक ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को बढ़ावा देने का आह्वान करता है. यह स्वीकार करता है कि ई-स्पोर्ट्स को औपचारिक मान्यता भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धी गेमिंग परिदृश्य में शामिल होने, नवोन्मेष को बढ़ावा देने, भारतीय स्टार्टअप परिवेश के लिए अवसर पैदा करने और देश को खेल विकास के लिए एक वैश्विक महाशक्ति बनाने में सक्षम बनाएगी.
नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई
विधेयक में प्रस्ताव है कि निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन करके ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवा प्रदान करने वाले किसी भी व्यक्ति को तीन साल तक की कैद या एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. नियमों का उल्लंघन करके विज्ञापन देने वालों के लिए भी प्रावधानों में दो साल तक की कैद या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
इसके अलावा, किसी भी तरह के लेन-देन में शामिल लोगों को तीन साल तक की कैद या एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. ऑनलाइन मनी गेमिंग से संबंधित उल्लंघन के लिए बार-बार अपराध करने पर कठोर कारावास (3-5 साल) के साथ-साथ जुर्माना भी हो सकता है.
ऑनलाइन गेम की लत से बढ़ रही चिंताएं
सूत्र ने कहा कि हालांकि, किसी भी उत्पीड़न से बचने के लिए विधेयक धन से जुड़े ऑनलाइन गेम खेलने वाले किसी भी व्यक्ति को अपराधी नहीं बनाया जाता है. इसके पीछे सोच अपराध करने वालों के बजाय पीड़ितों के रूप में मानना है. साथ ही यह विधेयक उन लोगों पर नकेल कसता है, जो इसे बढ़ावा देते हैं. यह बैंकों और वित्तीय संस्थानों को वास्तविक धन वाले ऑनलाइन गेम से संबंधित धनराशि के प्रसंस्करण या हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाता है. 
सूत्रों ने बताया कि इस विधेयक का उद्देश्य ऑनलाइन सोशल गेम्स और ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देकर ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करना है. साथ ही जनहित में धन से जुड़ी ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाना है. उन्होंने बताया कि भारत में भले गेमिंग परिदृश्य में तीव्र वृद्धि देखी गई है, फिर भी नियामक परिवेश अभी भी अस्पष्ट बना हुआ है. साथ ही ऑनलाइन गेम की लत लगने की प्रकृति, विशेष रूप से मौद्रिक प्रोत्साहन और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. 
ऑनलाइन मनी गेमिंग से आत्महत्या जैसे गंभीर परिणाम
इसके अलावा, धन से जुड़े ऑनलाइन गेम के कारण व्यक्तियों को वित्तीय नुकसान होने के कई मामले सामने आए हैं. इसके परिणामस्वरूप अवसाद और यहां तक कि आत्महत्या जैसे गंभीर परिणाम सामने आए हैं. ऑनलाइन मनी गेमिंग का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भी किया गया है.
यह विधेयक एक ओर ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स (जैसे, कैंडी क्रश) को बढ़ावा देने और विनियमित करने का प्रयास करता है, वहीं दूसरी ओर भारत में ऑनलाइन मनी गेमिंग पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाता है. मंत्रिमंडल ने मंगलवार को इस विधेयक को मंजूरी दे दी और इसे बुधवार को संसद में पेश किये जाने की उम्मीद है.
वैधानिक नियामक प्राधिकरण गठित करने का प्रस्ताव
यह विधेयक निगरानी और जवाबदेही के लिए एक वैधानिक नियामक प्राधिकरण गठित करने का प्रस्ताव करता है. यह ऑनलाइन गेमिंग मंच के लिए पंजीकरण और अनुपालन व्यवस्था का भी आह्वान करता है. नियामक प्राधिकरण के पास उचित जांच के बाद यह निर्धारित करने का अधिकार होगा कि कोई विशेष ऑनलाइन गेम ऑनलाइन मनी गेम है या नहीं.
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