पिता से दूरी, अकेलापन और हार्ट अटैक, कुछ ऐसा रहा ‘राम तेरी गंगा मैली’ एक्टर राजीव कपूर का जीवन

by Carbonmedia
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हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसे परिवार हैं जिनका नाम ही पहचान बन चुका है. इनमें से एक है कपूर खानदान, जो हमेशा से अभिनय, निर्देशन और कला से जुड़ा रहा है. यह परंपरा पृथ्वीराज कपूर से शुरू हुई और फिर राज कपूर, शम्मी कपूर, शशि कपूर, ऋषि कपूर और रणधीर कपूर तक चली. हर पीढ़ी ने अपनी अलग पहचान बनाई.

अभिनेता बनने का सपना अधूरा रह गया
इसी परिवार में जन्मे थे राजीव कपूर. उन्हें पहचान तो मिली, लेकिन उतनी सफलता नहीं मिली, जितनी वो चाहते थे. राजीव कपूर का सपना था एक अच्छा अभिनेता बनने का, लेकिन उनके पिता राज कपूर उन्हें निर्देशक के रूप में देखना चाहते थे. इन दोनों रास्तों के बीच फंसे राजीव ने कभी पर्दे पर और कभी कैमरे के पीछे खुद को साबित करने की कोशिश की. लेकिन कई कोशिशों के बावजूद उन्हें वो बड़ी सफलता नहीं मिल पाई, जिसकी उन्हें उम्मीद थी.

‘राम तेरी गंगा मैली’ से मिली पहचान
राजीव कपूर का जन्म 25 अगस्त 1962 को मुंबई में हुआ था. उन्हें प्यार से ‘चिंपू’ कहा जाता था. उन्होंने 1983 में ‘एक जान हैं हम’ से एक्टिंग की शुरुआत की, लेकिन फिल्म सफल नहीं हुई. इसके बाद ‘आसमान’, ‘लवर बॉय’ और ‘जबरदस्त’ जैसी फिल्मों में नजर आए, पर बड़ी पहचान नहीं बना सके.
1985 में राज कपूर के निर्देशन में बनी ‘राम तेरी गंगा मैली’ सुपरहिट रही और राजीव को शोहरत मिली.  इसके बावजूद, वे इंडस्ट्री में वह मुकाम हासिल नहीं कर पाए जिसकी उम्मीद थी. उनकी लापरवाही और शराब की आदत ने भी करियर पर असर डाला.
रिश्तों में आई दूरी
फिल्म समीक्षक रह चुके जयप्रकाश चौकसे ने कहा था, “राज कपूर ने उन्हें सलाह दी कि अभिनय की कोशिश मत करो, बल्कि निर्देशन में अपना करियर बनाओ.” पर राजीव के मन में अभिनेता बनने की तड़प इतनी थी कि उन्होंने पिता की बात न मानकर जल्दबाजी में ‘एक जान हैं हम’ जैसी फिल्में कर लीं, जो असफल रहीं. इस कारण राज कपूर उनसे नाराज भी रहे और उनके बीच मनमुटाव बढ़ गया. कहा जाता है कि राजीव ने पिता के अंतिम संस्कार में भी हिस्सा नहीं लिया था, जिससे उनकी निजी जिंदगी में भी तनाव बना रहा.

निर्माता और निर्देशक के तौर पर भी काम किया

राजीव कपूर ने सिर्फ अभिनय ही नहीं, बल्कि निर्माता और निर्देशक के तौर पर भी काम किया. 1991 में उन्होंने ‘हिना’ फिल्म बनाई, जिसका निर्देशन उनके भाई रणधीर कपूर ने किया. 1996 में उन्होंने ‘प्रेम ग्रंथ’ का निर्देशन किया, जिसमें ऋषि कपूर और माधुरी दीक्षित मुख्य भूमिका में थे, लेकिन फिल्म सफल नहीं रही. इसके बाद उन्होंने टीवी सीरियल ‘वंश’ और 1999 में ‘आ अब लौट चलें’ का निर्माण किया, जिसे ऋषि कपूर ने निर्देशित किया. इतनी कोशिशों के बावजूद राजीव को लगातार सफलता नहीं मिली और उन्होंने धीरे-धीरे फिल्मों से दूरी बना ली.
निजी जीवन में भी उतार-चढ़ाव आए
2001 में राजीव कपूर ने आर्किटेक्ट आरती सभरवाल से शादी की, लेकिन यह रिश्ता 2003 में तलाक तक पहुंच गया. तलाक के बाद राजीव अकेले रहने लगे और पुणे में एक बंगला खरीद लिया. शराब पीने की आदत ने उनकी जिंदगी को और मुश्किल बना दिया. कोविड-19 के दौरान लगे लॉकडाउन के बाद वे मुंबई लौट आए और अपने बड़े भाई रणधीर कपूर के घर चेंबूर में रहने लगे.

आखिरी बार नजर आए ‘टूल्सिडास जूनियर’ में

राजीव कपूर ने 2022 में रिलीज हुई फिल्म ‘टूल्सिडास जूनियर’ से वापसी की. यह उनकी आखिरी फिल्म साबित हुई, जो उनके निधन से कुछ समय पहले पूरी हुई थी. यह फिल्म दर्शकों और आलोचकों दोनों की तारीफ पाने में सफल रही.

58 साल की उम्र में आखिरी सांस ली
उनका निधन 9 फरवरी 2021 को मुंबई में हुआ, जब वे अपने भाई रणधीर कपूर के घर थे. सुबह उन्हें हार्ट अटैक आया, और अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उनकी मौत हो गई. उन्होंने 58 साल की उम्र में आखिरी सांस ली.

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