Budaun News: बदायूं के महिला अस्पताल में संचालित एसएनसीयू (विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई) में वेंटीलेटर न होने से शनिवार सुबह तीन नवजातों की मौत हो गई. यहां इलाज की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाने से आठ से दस बच्चों को हर रोज अलीगढ़ व सैफई के लिए रेफर किया जा रहा है.
आपको बता दें कि दातागंज के मोहल्ला परा निवासी धर्मपाल ने पत्नी प्रेमलता को 5 जून के लिए महिला अस्पताल में भर्ती कराया था. देर शाम उसने बच्चे को जन्म दिया. बच्चे का वजन 780 ग्राम था और प्रीमैच्योर बच्चे को एसएनसीयू में भर्ती कराया गया. दूसरे दिन छह जून को डॉक्टर ने वेंटीलेटर की आवश्यकता बताकर बच्चे को रेफर करने की बात परिजनों से कही. लेकिन परिजन रेफर कराने को तैयार नहीं हुए. शनिवार सुबह बच्चे की मौत हो गई. मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया. वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने समझ बुझाकर बच्चे को परिजनों को सौंपकर घर भेजा.
जुड़वा बच्चों ने तोड़ा दम
कस्बा समरेर निवासी विपिन ने अपनी पत्नी रेनू 4 जून को महिला अस्पताल में भर्ती कराया. उसने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. 5 जून को दोनों बच्चों को एसएनसीयू में भर्ती करा दिया. दोनों बच्चों का वजन कम था. दोनों को वेंटीलेटर की आवश्यकता थी . लेकिन अस्पताल में न तो वेंटीलेटर है और न ही सीपैप की व्यवस्था है. शनिवार सुबह दोनों नवजातों की मौत हो गई. परिजनों ने स्टाफ पर इलाज में कोताही बरतने का आरोप लगाकर हंगामा किया. सुरक्षाकर्मी मौके पर पहुंचे और परिजनों समझाकर मामला शांत कराया. बच्चों के शव परिजनों को सौंप कर घर भेज दिया गया.
वहीं थाना कादरचौक के निवासी इंतयाज ने अपनी पत्नी को तीन जून को भर्ती कराया था. चार जून को प्री मैच्योर बेबी पैदा हुई. पांच जून को उसे एसएनसीयू में भर्ती कराया. डॉक्टर के रेफर करने के बाद भी परिजन लेकर नहीं गए. अंत मे करीब 2 बजे उसकी भी मौत हो गयी.
अस्पताल में कम वेंटिलेटर
महिला अस्पताल में संचालित एसएनसीयू में ऐसे नवजात भर्ती किए जाते हैं जो नौ महीने से कम अवधि में पैदा हुए हैं या फिर वजन औसत से कम है. हर रोज ऐसे 10 से 15 बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं. अधिकांश बच्चों को वेंटिलेटर की जरूरत रहती है. जोकि बदायूं में उपलब्ध नहीं है. पहले भी वेंटिलेटर के लिए लिखा गया मगर अभी तक सरकार द्वारा वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं किया गया . जिसके चलते वेंटीलेटर के अभाव में नवजात दम तोड़ दे रहे हैं.
तीन-तीन घंटे वार्मर का करना पड़ता है इंतजार
महिला अस्पताल में 12 वार्मरों की क्षमता है . लेकिन यहां 17 से 18 नवजात हर समय भर्ती रहते हैं. नवजात को भर्ती कराने में तीन-तीन घंटे इंतजार करना पड़ता है. आरोप यह भी लगते आ रहे हैं कि कर्मचारी अवैध रूप से रुपये वसूलकर वार्मर जल्दी दे देते हैं. जो रुपये नहीं दे पाते हैं टरका दिया जाता है. शनिवार को 14 बच्चे भर्ती थे. शहर के एक मोहल्ले से महिला बच्चे को भर्ती कराने यहां पहुंची तो वार्मर खाली नहीं था. महिला ने बच्चे को गोद में लेकर तीन घंटे तक इलाज कराया. हालत ठीक न होने पर परिजन बच्चे को निजी अस्पताल लेकर चले गए.
मामले पर क्या बोले अस्पताल के अधिकारी?
महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. इंदुकांत वर्मा ने बताया कि एसएनसीयू में जिन नवजातों की मौत हुई है उनका वजन बहुत कम था. डॉक्टरों ने प्रयास किया लेकिन बच्चों की जान न बच सकी. वेंटीलेटर की सुविधा नहीं हैं. डॉक्टर रेफर करने को कहते हैं तो परिजन कहीं ले जाने को तैयार नहीं होते. शासन को कई बार पत्राचार किया है लेकिन वेंटीलेटर नहीं लग सके हैं.
(बदायूं से भारत शर्मा की रिपोर्ट)
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