क्या बकरीद पर खुद की कुर्बानी दे सकता है कोई शख्स? उलेमा बोले- शरीयत और इंसानियत दोनों में ये…

by Carbonmedia
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बकरीद पर कुर्बानी में खुद को कुर्बान करने को उलेमा ने इस्लाम के खिलाफ बताया है. उनका कहना है कि इस्लाम में खुदकुशी करना हराम है. जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक और प्रसिद्ध आलिम मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि देवरिया में बकरीद की कुर्बानी के लिए खुद को कुर्बान किए जाने की घटना से इस्लामी हलकों में गंभीर चिंता और अफसोस का माहौल है.
शनिवार (7 जून, 2025) को जनपद देवरिया के गौरी बाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव में बकरीद की कुर्बानी में ईश मोहम्मद नाम के एक शख्स ने खुद को कुर्बान कर दिया. गला रेतने के बाद वह एक घंटे तक तड़पता रहा. उसको हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया. उसने मरने से पहले लेटर लिखकर कहा था कि वह जानवर के बजाए अल्लाह के रसूल के नाम से अपनी कुर्बानी कर रहा है.
मौलाना ने कहा कि इस्लाम में खुदकुशी हराम अमल है. यह न सिर्फ एक बड़ा गुनाह है, बल्कि ऐसा शख्स अल्लाह की दी हुई जिंदगी को ठुकराता है, जो इस्लामी अकीदे के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि ये बहुत अफसोसजनक घटना है कि आज आम मुसलमानों में इस्लामी तालीम और समझ की कितनी कमी है. उन्होंने कहा, ‘कुर्बानी का मकसद जानवर को मारना नहीं, बल्कि अल्लाह के हुक्म की इताअत (आज्ञा का पालन) है, लेकिन किसी इंसान का खुद को कुर्बान कर देना न शरीयत में जायज है, न इंसानियत में.’
मौलाना ने कहा कि इस्लाम समझ और इल्म का मजहब है. हर काम की हदें, तरीके और मकसद शरीयत ने तय किए हैं. खुद की की गर्दन काटना न कुर्बानी है, न इबादत बल्कि यह शैतान का बहकावा है.
ईश मोहम्मद की उम्र 60 साल थी. उन्होंने मरने से पहले एक लेटर लिखा था. इस लेटर में उन्होंने कहा, ‘इंसान अपने घर में बकरे को बेटे की तरह पाल-पोसकर कुर्बानी करता है, वो भी जीव है. कुर्बानी करनी चाहिए, मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम से कर रहा हूं. किसी ने मेरा कत्ल नहीं किया है. सुकून से मिट्टी देना, डरना नहीं है. जिस जगह खूंटा है, उसी जगह मेरी कब्र होनी चाहिए.’

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