AAP नेता सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन की बढ़ेंगी मुश्किलें? ACB को मिली ‘घोटाले’ की जांच की मंजूरी

by Carbonmedia
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Delhi News: दिल्ली की पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी की सरकार के दो पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दोनों नेताओं के खिलाफ हज़ारों करोड़ रुपये के अस्पताल घोटाले के आरोप में एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) को जांच की मंजूरी मिल गई है. 
जानकारी के मुताबिक यह फैसला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17A के तहत लिया गया है और दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की 6 मई 2025 को की गई सिफारिश के बाद आज विभाग ने सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के ख़िलाफ़ जांच को स्वीकृति दी है.
तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्रियों की भूमिका है संदिग्ध बताते चले यह जांच बीजेपी नेता और दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता की 22 अगस्त 2024 को दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर शुरू की जा रही है जिसमे विजेंद्र गुप्ता ने शिकायत में आरोप था कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ, और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्रियों की भूमिका संदिग्ध है. 800 करोड़ खर्च हो चुके थेआरोपों के मुताबिक साल 2018-19 में दिल्ली में 24 अस्पताल परियोजनाओं (11 ग्रीनफील्ड और 13 ब्राउनफील्ड) को 5 हज़ार 590 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी, लेकिन योजना ठप होने के कारण लागत कई गुना बढ़ गई इसी तरह आप सरकार में सितंबर 2021 में छह महीने में 6,800 बेड की क्षमता वाले 7 ICU अस्पतालों को 1 हज़ार 125 करोड़ रुपये में बनाने की योजना थी लेकिन आप सरकार के आखिरी तीन साल बाद भी ये केवल 50% पूरे हुए थे, और इस पर 800 करोड़ खर्च हो चुके थे.
जानबूझकर रोका गया वर्षों तक इसी तरह आप सरकार में दिल्ली सरकार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल लोक नायक जयप्रकाश (LNJP) अस्पताल के नए ब्लॉक की लागत 465 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,125 करोड़ रुपये हो गई और 94 पॉलीक्लिनिक बनाने की योजना थी, जिन्हें 168 करोड़ में पूरा करना था, लेकिन केवल 52 पॉलीक्लिनिक बने और इस पर आप सरकार में 220 करोड़ रुपये खर्च किए गए और हेल्थ इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (HIMS) को जानबूझकर वर्षों तक रोका गया, जिससे पारदर्शिता ना हो पाए.
सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा हैजानकारी के मुताबिक प्रथम दृष्टया शिकायत की जांच करने के बाद, एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने पाया कि विभिन्न परियोजनाओं की लागत को जानबूझकर बढ़ाया गया, विभाग द्वारा कार्यों में सुनियोजित देरी की गई, किफायती समाधानों को अस्वीकार किया गया, निधियों का गलत ढंग से आवंटन किया गया और निष्क्रिय परिसंपत्तियां बनाई गईं और इन सभी को भ्रष्टाचार की योजनाबद्ध रणनीतियाँ करार देते हुए एसीबी ने पाया कि इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा है.
इसी आधार पर एसीबी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17-A के अंतर्गत पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच की अनुमति के लिए दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग (DoV) को प्रस्ताव भेजा था, जिस पर सतर्कता विभाग ने इस प्रस्ताव को दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग (H&FW) और लोक निर्माण विभाग (PWD) से टिप्पणियों के लिए भेजा था, जिससे स्वास्थ्य विभाग ने विजिलेंस विभाग को जानकारी दी ये ऐसे मुद्दे हैं, जिनकी जांच एसीबी द्वारा की जा सकती है और विभाग को इसमें कोई आपत्ति नहीं है.
साथ ही लोक निर्माण विभाग ने शिकायत में उल्लिखित प्राथमिक स्तर के उल्लंघनों को गंभीर मानते हुए गहन सतर्कता जांच की, सिफारिश की और कहा था कि आईसीयू अस्पतालों, पॉलीक्लिनिक और अन्य 24 अस्पतालों से जुड़ी सभी परियोजनाओं की विस्तृत जांच होनी चाहिए, साथ ही भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और नियमों-कानूनों के उल्लंघनों की पहचान की जाए और अगर कोई दोषी पाया जाए तो उसकी जिम्मेदारी तय की जाए.

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