AAP ने स्कूल फीस बिल में दिए संसोधन के प्रस्ताव, आतिशी बोलीं- ‘BJP तय करे, किसके साथ’

by Carbonmedia
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आम आदमी पार्टी ने बीजेपी सरकार के स्कूल फीस बिल को पैरेंट्स के हितों के खिलाफ बताते हुए उसमें चार अहम संशोधन की मांग की हैं. दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि आप विधायक दल ने पैरेंट्स के हक में बिल में संशोधन के प्रस्ताव दिए हैं. अब बीजेपी को तय करना है कि वह किसके साथ है? 
पैरेंट्स 15 दिनों में अपने सुझाव देंगे- आतिशी
आतिशी ने कहा कि बीजेपी विधायक इन प्रस्तावों पर किसके पक्ष में वोट करते हैं, उससे साफ हो जाएगा कि वह पैरेंट्स के साथ हैं या प्राइवेट स्कूलों के साथ हैं. उन्होंने कहा कि हमने बिल में स्कूलों का ऑडिट करने का प्रावधान करने की मांग की है, जिस पर पैरेंट्स 15 दिनों में अपने सुझाव देंगे और उसी आधार पर कमेटी फीस तय करेगी. इसके अलावा, स्कूल की कमेटी में 5 की जगह 10 पैरेंट्स को चुनाव के जरिए शामिल करने, 15 फीसद की जगह 15 पैरेंट्स की शिकायत पर कार्रवाई करने और कमेटी के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का अधिकार देने को लेकर बिल में संशोधन भेजे हैं. 
बिल में मांग और प्रस्तावित संशोधन

बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजा जाए, ताकि माता-पिता से राय ली जाए.
फी रेगुलेशन कमेटी 15 सदस्यीय हो, इसमें 10 पैरेंट्स हों जो पर्ची से नहीं, जनरल बॉडी के चुनाव से चुने जाएं.
कमेटी की बैठक से पहले स्कूल के खातों का ऑडिट हो. ऑडिट रिपोर्ट माता-पिता को भेजी जाए और फीडबैक देने के लिए उन्हें 15 दिन का समय दिया जाए.
स्कूल की शिकायत के लिए 15 फीसद नहीं, सिर्फ 15 पैरेंट्स की शिकायत पर सुनवाई हो.
पैरेंट्स को कमेटी के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का हक हो.

अप्रैल में कैबिनेट से पास हुआ, जुलाई तक बिल नहीं आया-आतिशी
6 अगस्त को आप विधायक दल के चीफ व्हीप संजीव झा और विधायक कुलदीप कुमार के साथ पार्टी मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा कि बीजेपी सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की फीस को रेगुलेट करने के लिए स्कूल फीस बिल लेकर आई है. अप्रैल से इस बिल पर चर्चा चल रही है. अप्रैल में ही प्राइवेट स्कूल बेलगाम तरीके से अपनी फीस बढ़ा रहे थे, बच्चों को स्कूल से बाहर निकाल रहे थे, लाइब्रेरी में कैद कर रहे थे, 40 डिग्री सेल्सियस तापमान के अंदर माता-पिता स्कूल के बाहर विरोध कर रहे थे और चारों तरफ अफरा-तफरी मची हुई थी. ऐसे वक्त में बीजेपी सरकार ने कहा कि वह बिल लेकर आएगी. अप्रैल में कैबिनेट में बिल पास हुआ, लेकिन जुलाई तक यह बिल नहीं आया. अब अगस्त में इस बिल को दिल्ली विधानसभा में पेश किया गया. 
चार महीने बाद बिल को विधानसभा में क्यों लाया गया- आतिशी
आतिशी ने सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि चार महीने बाद इस बिल को विधानसभा में क्यों लाया गया? सिर्फ प्राइवेट स्कूलों को बचाने के लिए चार महीने बाद यह बिल विधानसभा में लाया गया. प्राइवेट स्कूलों को पैरेंट्स को परेशान करके बढ़ी फीस वसूलने का मौका देने के लिए बिल को चार महीने बाद लाया गया. बिल को लाने से पहले शिक्षाविद्, वकील और पैरेंट्स समेत किसी भी हितधारक से कोई रायशुमारी नहीं हुई. उन्होंने कहा कि आतिशी ने कहा कि हमें बीजेपी पर भरोसा बहुत कम है. इसलिए हमें कई और संशोधन प्रस्ताव भी दिए हैं.
फीस रेगुलेशन कमेटी में 5 के बजाय 10 पैरेंट्स शामिल हों- आतिशी
आतिशी ने कहा कि प्राइवेट स्कूल फीस एक्ट में सबसे बड़ी खामी यह है कि फीस का निर्धारण करने वाली कमेटी की अध्यक्षता स्कूल मैनेजमेंट का एक सदस्य करेगा. इस कमेटी में मात्र 5 पैरेंट्स शामिल होंगे और वो भी पर्ची के माध्यम से चुने जाएंगे. सबको पता है कि पर्ची की सेटिंग कैसे की जाती है? इसलिए आप विधायक दल ने बिल के सेक्शन-4 में संशोधन की मांग की है कि स्कूल फीस रेगुलेशन कमेटी में 5 के बजाय 10 पैरेंट्स शामिल हों. यानि यह कमेटी 15 सदस्यीय होगी, जिसमें 5 सदस्य स्कूल की तरफ से होंगे. जबकि 10 पैरेंट्स के सदस्य पैरेंट्स की जनरल बॉडी के चुनाव के जरिए चुने जाएंगे. 
स्कूल फीस बिल शिक्षा माफियाओं को संरक्षण- संजीव झा
इस दौरान “आप” विधायक दल के चीफ व्हीप संजीव झा ने कहा कि बीजेपी का स्कूल फीस बिल शिक्षा माफियाओं को संरक्षण देता है. यह बिल प्राइवेट स्कूलों के मनमाने फीस बढ़ोतरी को वैध बनाता है और माता-पिता के हितों के खिलाफ है. इस कानून को पढ़कर यह कल्पना कर लीजिए कि इस बिल को शिक्षा मंत्री ने 100 करोड़ रुपए लेकर बनाया. 50 करोड़ रुपए पहले ही ले लिए गए. 
संजीव झा ने कहा कि सेक्शन 17 में कोर्ट जाने का हक छीना गया है. यह असंवैधानिक है. संविधान के अनुच्छेद 13 और केशवानंद भारती केस में न्यायिक समीक्षा को मूल संरचना माना गया है. कोर्ट का हस्तक्षेप खत्म करना गलत है. 
वहीं, आप विधायक कुलदीप कुमार ने कहा कि यह बिल अवैध लूट को सरकारी लूट में बदलने की साजिश है. हमने संशोधन प्रस्तावित किया कि स्कूलों के खातों का ऑडिट हो. बीजेपी ऑडिट की बात करती थी, लेकिन बिल में “ऑडिट” शब्द ही नहीं है. 

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