AI की दुनिया जीतने निकले जुकरबर्ग, करोड़ों की जॉब ऑफर कर रहे खुद,जानें क्या है वजह

by Carbonmedia
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फेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम जैसे दिग्गज प्लेटफॉर्म चलाने वाली कंपनी मेटा अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में पीछे नहीं रहना चाहती. यही वजह है कि कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग अब खुद मैदान में उतर आए हैं. जी हां, जुकरबर्ग अब सीधे-सीधे AI में काम कर रहे बड़े नामों को मैसेज कर रहे हैं और उन्हें मोटी सैलरी वाली नौकरियों का ऑफर दे रहे हैं.
Fसिर्फ ऑफर नहीं, जुकरबर्ग खुद कर रहे हैं बात
आमतौर पर कंपनियों के सीईओ इस तरह से सीधे किसी को जॉब ऑफर नहीं करते, लेकिन AI की रेस में आगे निकलने के लिए जुकरबर्ग ने यह अनोखा रास्ता अपनाया है. वॉट्सऐप से लेकर ईमेल तक, वह टॉप रिसर्चर्स और डेवलपर्स से संपर्क कर रहे हैं. कुछ लोग तो इस ऑफर को देखकर हैरान रह गए. उन्हें लगा कि कहीं यह कोई फेक मैसेज तो नहीं!
AI में पिछड़ने के बाद जागी नींद
पिछले कुछ सालों में मेटा को AI की रेस में कई कंपनियों ने पीछे छोड़ दिया है. चाहे वो ओपनएआई हो, गूगल या फिर परप्लेक्सिटी जैसी नई कंपनियां, इन सबने AI में बड़ा नाम कमाया है. वहीं मेटा का AI सिस्टम अभी तक यूजर्स को खास प्रभावित नहीं कर पाया. ऐसे में अब कंपनी ने फैसला किया है कि वह इस क्षेत्र में बड़ा निवेश करेगी और टॉप टैलेंट को अपने साथ जोड़ेगी.
सुपरइंटेलिजेंस लैब के लिए टॉप टीम की तलाश
मेटा ने एक खास “सुपरइंटेलिजेंस लैब” की नींव रखी है, जिसके लिए जुकरबर्ग बेस्ट से बेस्ट दिमागों की तलाश कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने ओपनएआई के को-फाउंडर्स जॉन शुलमैन और बिल पीबल्स जैसे दिग्गजों से भी संपर्क किया है. हालांकि, इनमें से कुछ ने मेटा का ऑफर ठुकरा भी दिया है.
पैसे की कोई कमी नहीं
इस पूरे अभियान में सबसे दिलचस्प बात यह है कि जुकरबर्ग AI टैलेंट को लुभाने के लिए पैसे की कोई सीमा नहीं रख रहे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह ऐसे ऑफर दे रहे हैं जो कई सौ करोड़ रुपये तक के हो सकते हैं. मेटा का मानना है कि अगर बेहतरीन टैलेंट को साथ जोड़ा जाए, तो कंपनी फिर से AI की दुनिया में बड़ी छलांग लगा सकती है.
नया चेहरा करेगा टीम को लीड
हाल ही में मेटा ने स्केल AI के सीईओ को अपनी सुपरइंटेलिजेंस लैब का नेतृत्व करने के लिए शामिल किया है. इससे यह साफ हो गया है कि मेटा अब आधे-अधूरे मन से नहीं, बल्कि पूरी ताकत के साथ AI की दुनिया में उतरना चाहती है.
मार्क जुकरबर्ग का यह कदम मेटा के भविष्य की दिशा को दर्शाता है. अब देखना यह है कि क्या जुकरबर्ग की ये कोशिशें रंग लाती हैं और मेटा एक बार फिर टेक्नोलॉजी की दुनिया में गेम चेंजर साबित होती है या नहीं. लेकिन इतना तो तय है कि AI की इस रेस में जुकरबर्ग अब पीछे नहीं रहना चाहते.

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