Deepfake Call: पिछले महीने बेंगलुरु में एक 43 वर्षीय मार्केटिंग प्रोफेशनल को अपनी “बेटी” का घबराया हुआ फोन आया. उसने बताया कि वो अस्पताल में है और तुरंत ₹50,000 की जरूरत है. आवाज़ बिल्कुल असली थी वही टोन, वही अंदाज़ और “अप्पा” कहने का वही तरीका. उन्होंने बिना सोचे-समझे पैसे ट्रांसफर कर दिए. लेकिन असल में उनकी बेटी कॉलेज में क्लास अटेंड कर रही थी.
यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि एक AI जनरेटेड Deepfake कॉल थी एक ऐसी तकनीक जो किसी की भी आवाज़ को हूबहू कॉपी कर सकती है.
आज भारत के बड़े शहरों जैसे बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली में इस तरह के वॉयस स्कैम्स तेजी से बढ़ रहे हैं. ये सिर्फ बुजुर्गों को नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे प्रोफेशनल्स, स्टूडेंट्स और यहां तक कि स्टार्टअप सीईओ को भी अपना निशाना बना रहे हैं.
AI वॉयस स्कैम कैसे काम करता है?
अब स्कैमर्स को न तो आपका फोन हैक करने की जरूरत है और न ही सिम चुराने की. उन्हें बस आपके 30 सेकंड की वॉयस क्लिप चाहिए जो वो इंस्टाग्राम रील, यूट्यूब वीडियो या व्हाट्सएप फॉरवर्ड्स से आसानी से उठा सकते हैं.
इसके बाद AI टूल्स जैसे ElevenLabs, Descript, या ओपन-सोर्स वॉयस क्लोनिंग सॉफ्टवेयर से वो आपकी आवाज़ को किसी भी भाषा में बना सकते हैं. उस आवाज़ को फिर स्क्रिप्ट में डालकर मेडिकल इमरजेंसी, पुलिस धमकी, बैंक लोन या अपहरण जैसी नकली कहानियों में बदला जाता है. कॉलर ID भी नकली हो सकती है जिससे सामने वाले को लगे कि कॉल किसी करीबी का ही है.
आंकड़ों में खौफ
2025 में भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से मई तक 2,800 से ज्यादा Deepfake कॉल स्कैम के मामले सामने आए. इनकी संख्या मेट्रो शहरों में 200% तक बढ़ी है.
सबसे ज्यादा केस इन वजहों से हुए:
परेशान “परिवारजन” की नकली कॉल
बैंक या पुलिस के नाम पर धमकी
नकली एम्प्लॉयर बनकर डेटा मांगना
बेंगलुरु इस तरह के मामलों में सबसे ऊपर रहा, इसके बाद मुंबई, हैदराबाद और दिल्ली NCR आते हैं.
कौन हैं निशाने पर?
यह मानना गलत है कि सिर्फ बुजुर्ग ही शिकार होते हैं. आजकल प्रोफेशनल्स, स्टूडेंट्स, यूट्यूबर्स और यहां तक कि स्टार्टअप मालिक भी इनका शिकार हो रहे हैं क्योंकि उनकी आवाज़ इंटरनेट पर मौजूद होती है LinkedIn इंटरव्यू, इंस्टाग्राम रील्स, पॉडकास्ट क्लिप्स, आदि में.
हैदराबाद के एक स्टार्टअप सीईओ ने एक “वेंडर” की भेजी वॉयस नोट के भरोसे पेमेंट करने ही वाले थे लेकिन आखिरी समय पर वीडियो कॉल करने पर स्कैम पकड़ा गया.
क्यों है ये भारत के लिए ज्यादा खतरनाक?
भारत की भाषाई विविधता और पारिवारिक भावना इस तरह के स्कैम्स को और खतरनाक बना देती है. AI अब सिर्फ अंग्रेज़ी ही नहीं, हिंदी, तमिल, मराठी, बंगाली जैसी भाषाओं में भी टोन और एक्सेंट की नकल कर सकता है और भारत में लोग आमतौर पर आवाज़ को ज्यादा भरोसेमंद मानते हैं. अगर कोई “बेटा”, “बॉस” या “बैंक मैनेजर” जैसी आवाज़ में बात करे, तो ज्यादातर लोग बिना दोबारा सोचे भरोसा कर लेते हैं.
कैसे पहचानें Deepfake कॉल?
बैकग्राउंड नॉइस नहीं होता आवाज़ बहुत क्लीन होती है.
बार-बार वही बातें दोहराना अगर आप सवाल करें तो स्क्रिप्ट लूप हो जाती है.
निजी सवालों पर अटक जाता है जैसे बर्थ डेट या कोई अंदर की बात.
वीडियो कॉल की मांग करें स्कैमर तुरंत कट जाएगा.
जानी-पहचानी ऐप्स का इस्तेमाल करें जैसे WhatsApp, Telegram, जहां कॉलर्स की पहचान ज्यादा सुरक्षित रहती है.
अभी क्या कर सकते हैं आप?
Truecaller या Hiya जैसे Caller ID ऐप्स इंस्टॉल करें
Cyber Dost (सरकारी साइबर अवेयरनेस प्लेटफॉर्म) को फॉलो करें
अपनी आवाज़ को पब्लिक में लिमिट करें जैसे लंबी इंस्टा रील्स, पॉडकास्ट आदि
संदिग्ध कॉल रिकॉर्ड करें (जहां कानूनी हो)
ठगी की शिकायत तुरंत करें 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें
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