Ashadha Amavasya 2025: आषाढ़ अमावस्या 25 जून 2025 को है. ये पर्व पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्ति करने का दिन है. जीवन में जब सब कुछ ठीक होने के बाद भी व्यक्ति मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से परेशान रहता है तो इसका कारण पितृ दोष हो सकता है. पितरों की नाराजगरी परिवार की सुख-शांति छीन लेती हैं.
ऐसे में अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए स्नान-दान करने की परंपरा है. अगर आप ये कार्य नहीं कर पा रहे हैं तो पितरों को खुश करने के लिए घर मे ही एक विशेष पाठ कर सकते हैं. कहते हैं इससे पितृ दोष दूर होता है. आर्थिक तंगी, पारिवारिक विवाद और वैवाहिक समस्याएं जैसी परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
आषाढ़ अमावस्या पर घर में करें ये पाठ
पितृ चालीसा (Pitra Chalisa ka path)
दोहा
हे पितरेश्वर, आपको दे आशीर्वाद,
चरण शीश नवा दियो, रखो सिर पर हाथ।
सबसे पहले गणपति की पूजा करें, घर के देवता को मनाएं,
हे पितरेश्वर, दया बनाए रखो, हमारे मन की शांति बढ़ाओ।
चौपाई
पितरेश्वर, हमें रास्ता दिखाओ,
चरण रज से हम मुक्ति पाओ।
आपका उपकार अत्यंत बड़ा है,
मनुष्य रूप में जन्म दिया है।
माता-पिता को देवता मानने वाला,
सच्चे सुखों का फल पाता है।
जय जय जय पितर जी साईं,
पितृ ऋण बिना मुक्ति संभव नहीं।
चारों ओर आपका ही प्रभाव है,
संकट में आप ही हमारा सहारा हैं।
नारायण के साथ सृष्टि का आधार,
पित्तरजी, उसी दृष्टि का एक अंश हैं।
प्रथम पूजन की जो आज्ञा दी,
आप ही हमारे भाग्य के दरवाजे खोलते हो।
झुंझुनू में है आपका दरबार,
सभी देवों के साथ आप हैं यहां।
आपकी कृपा से हमारी इच्छाएं पूरी होती हैं,
क्रोधित होने पर हमारी बुद्धि हर लेते हो।
पित्तर महिमा सबसे अलग है,
जिसे नर-नारी दोनों गाते हैं।
तीन लोकों में आप बिराजते हैं,
बसु, रुद्र और आदित्य में आप सजे हैं।
आपकी संपत्ति सभी का आशीर्वाद है,
मैं सेवक, सुत और नारी आपके चरणों में हूं।
छप्पन भोग आपको प्रिय नहीं,
शुद्ध जल से ही आप संतुष्ट हो जाते हो।
आपके भजन सभी के लिए लाभकारी हैं,
छोटे-बड़े सभी आपके भक्त बनते हैं।
भानु उदय के समय आप पूजा जाते हो,
पाँच अंगुल जल से आपकी अराधना होती है।
ध्वज और पताका मण्डल में सजे हैं,
अखण्ड ज्योति में आप विराजते हो।
सदियों से जल रही आपकी ज्योति,
हमारी जन्म भूमि धन्य हुई है।
शहीद हमारे यहां पूजा जाते हैं,
मातृभक्ति का संदेश सुनाते हैं।
पितृ सिद्धान्त हमारा है,
धर्म, जाति से परे सब पूजते हैं।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
सभी पित्तरों का पूजन करते हैं।
हिन्दू वंश हमारे लिए अमूल्य है,
हम इसे जीवन से भी प्रिय मानते हैं।
गंगा और मरुप्रदेश की पवित्रता,
पितृ तर्पण का अनिवार्य हिस्सा है।
अपने बन्धु के चरणों में आस्था रखें,
उनकी कृपा से प्रभु की शरण पाएं।
चौदस को जागरण करें,
अमावस्या को पित्तरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करें।
जात-जडूला हर कोई मनाता है,
नान्दीमुख श्राद्ध सभी करते हैं।
हमारी जन्मभूमि धन्य है,
यह पित्तर मंडल की पवित्र धूल से सजती है।
श्री पित्तर जी, भक्तों के लिए हितकारी,
कृपा कीजिए और हमारी अरज सुनिए।
जो कोई निशिदिन ध्यान करे,
वह सच्चा भक्त होता है।
आप अनाथों के नाथ हैं,
दीन-दुखियों के सच्चे सहायक हैं।
आपके चरणों में लाज है,
आप भक्तों की लज्जा बनाए रखते हैं।
जो कोई आपका नाम लेता है,
वह धन्य होता है।
जो आपके चरणों में दिन-रात लोटता है,
वह निःसंदेह सिद्धि प्राप्त करता है।
आपकी सिद्धि और कृपा से,
हर कोई मंगलमयी होता है।
जो आपके चरणों में मन लगाकर ध्यान करता है,
वह मुक्ति प्राप्त कर लेता है।
जो आपके सत्य भजन गाता है,
वह निश्चित रूप से सभी चारों फल पाता है।
आप हमारे कुलदेवता हैं,
हमारे प्राणों से प्यारे गुरुदेव हैं।
आपकी महिमा का कोई अंत नहीं,
जिसका वर्णन शेष सहस्त्रों मुख भी नहीं कर सकते।
मैं अत्यंत दीन-हीन हूं,
कृपा करके मेरी विनती स्वीकार करें।
हे पितर जी, दीन-दुखियों पर दया करो,
हमारी भक्ति में शक्ति प्रदान करो।
दोहा
पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम,
श्रद्धा सुमन चढ़ाएं वहां, पूरित हो सब काम।
झुंझनू धाम में विराजे पित्तर हमारे महान,
उनके दर्शन से जीवन सफल हो, पूजा करें सभी जहान।
जीवन सफल चाहिए, तो झुंझनू धाम में जाएं।
पितृ चालीसा करने के लाभ
जीवन में बार-बार आ रही बाधाएं दूर होती है.
संतान प्राप्ति के रास्ते सुलभ होते हैं.
परिवार में हो रहे क्लेश मिटते हैं.
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