Bakrid 2025: बकरीद पर कुर्बानी के वक्त क्या बोलते हैं मुसलमान, जिसके बिना नहीं पूरी होती ये रस्म

by Carbonmedia
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Bakrid 2025: बकरीद या ईद-उल-अजहा शनिवार (7 जून, 2025) को दुनियाभर के मुसलमान मनाएंगे. बकरीद हजरत इब्राहिम की सुन्नत की याद में मनाई जाती है. इस दिन मुस्लिम लोग बकरे या किसी और जानवर की कुर्बानी देते हैं. हालांकि, भारत में इस बार कुर्बानी को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है. हिंदू संगठन खुले में या सार्वजनिक स्थलों और सड़कों पर कुर्बानी दिए जाने का विरोध कर रहे हैं, जिसके चलते कई राज्यों ने इस पर एडवाइजरी जारी की है.


इस्लाम में कुर्बानी देने के पीछे के मकसद और तरीके के बारे में बताया गया है. मौलाना कारी मोहम्मद अहमद रिजवी बताते हैं कि कुर्बानी सिर्फ एक रस्म नहीं है, बल्कि अल्लाह के प्रति समर्पण का प्रतीक है. 


बकरीद पर जानवर की कुर्बानी किस तरह दी जाती है, उसका भी तरीका मौलाना ने बताया है. मौलाना कारी मोहम्मद अहमद रिजवी ने बताया कि कुर्बानी के वक्त ‘बिस्मिल्लाह अल्लाह हू अकबर’ का उच्चारण करना जरूरी होता है.  


इस बार कई हिंदू संगठनों के विरोध के चलते भारत में कुर्बानी को लेकर बवाल मच गया है. हिंदू संगठनों ने सार्वजनिक जगहों पर कुर्बानी दिए जाने का विरोध किया है और उनका ये भी आरोप है कि बकरीद की आड़ में कई प्रतिबंधित जानवरों की भी कुर्बानी दी जाती है. 


विरोध के चलते दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों ने कुर्बानी को लेकर एडवाइजरी जारी कर दी है, जिसके तहत न तो सार्वजनिकल स्थलों पर कुर्बानी दी जाएगी और न ही प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी होगी. कई इमाम और मौलानाओं ने भी मुसलमानों से सार्वजनिक जगहों, खुले स्थान या सड़कों पर कुर्बानी नहीं देने को कहा है.


एक बड़े मुस्लिम देश मोरक्को ने भी इस साल कुर्बानी को लेकर बड़ा फैसला लिया है, जो पूरे अरब वर्ल्ड में चर्चा का विषय बन गया है. मोरक्को के राजा मोहम्मद VI ने जानवरों की कुर्बानी पर पाबंदी लगा दी है, जिसके बाद बकरों और भेड़ों के लिए छापेमारी की जा रही है. हालांकि, देश में उनके फैसले को लेकर काफी नाराजगी है. मोरक्को की 99 परसेंट आबादी इस्लाम को मानती है.

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