Eid-ul-Adha 2025: इस्लाम के सबसे प्रसिद्ध त्योहोरों में से एक है ईद- उल- अजहा जो, कि इस बार 7 जून को मनाया जाएगा. ‘इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया’ के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने सोमवार को ईद-उल-अजहा (बकरीद) से पहले एक सुझाव में कहा कि केवल उन्हीं जानवरों की कुर्बानी दी जानी चाहिए जिनको लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है.
उन्होंने कहा कि कुर्बानी सात जून, आठ जून और नौ जून को दी जा सकती है. महली ने मुसलमानों से ‘कानून के दायरे में रहते हुए कुर्बानी की रस्में निभाने’ का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ईद-उल-अजहा सात जून (शनिवार) को मनाई जाएगी.
इन जगहों पर कुर्बानी देना मना
खालिद रशीद ने एडवाइजरी में कहा, ‘हमेशा की तरह इस बार भी केवल उन्हीं जानवरों की कुर्बानी दी जानी चाहिए, जिन पर कोई प्रतिबंध नहीं है. कुर्बानी स्थल पर साफ-सफाई बनाए रखने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए. जानवरों की कुर्बानी खुले स्थानों, गलियों, सड़क किनारे या सार्वजनिक स्थानों पर नहीं दी जानी चाहिए.’ पशुओं के अवशेष सड़कों या सार्वजनिक स्थानों पर नहीं फेंके जाने चाहिए और इसके लिए नगर निगम के कूड़ेदानों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘कुर्बान किए गए पशुओं का खून नालियों में नहीं बहाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे (कुछ लोगों की) धार्मिक आस्था को ठेस पहुंच सकती है और यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हानिकारक है. खून को मिट्टी के नीचे दबा देना चाहिए, ताकि वह पौधों के लिए खाद बन सके. कुर्बान किए गए पशु के मांस को ठीक से पैक किया जाना चाहिए और मांस का एक तिहाई हिस्सा गरीब और जरूरतमंद लोगों को दिया जाना चाहिए.”
कुर्बानी के समय फोटो खीचना सख्त मना
रशीद ने कहा, ‘कुर्बानी के दौरान न तो कोई फोटो खींचें, न ही कोई वीडियो बनाएं और न ही उन्हें सोशल मीडिया पर अपलोड करें.’ उन्होंने लोगों से देश में शांति और देश की सीमा की रक्षा कर रहे सेना के जवानों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करने की भी अपील की.
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