Basti News: BJP के पूर्व विधायक ने खुद को निर्दोष बताकर सीएम योगी से लगाई न्याय की गुहार

by Carbonmedia
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यूपी के बस्ती में योगीराज के एक पूर्व विधायक न्याय की गुहार लगा रहे है. ताबड़तोड़ एफआईआर दर्ज होने बाद अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उम्मीद जताई है कि वे निर्दोष है और उन्हें न्याय दिया जाए न कि उनके परिवार को फर्जी मुकदमों में फंसाया जाए.
बता दें अब तक इन विधायक पर अलग अलग जनपदों में धोखाधड़ी के कुल 5 मुकदमे दर्ज हो चुके है. इनके ऊपर निवेशकों से पैसे दोगुने करने और प्लाट देने के नाम पर ठगी करने का आरोप है जब कि पूर्व विधायक ने खुद को बिना गलती के एफआईआर दर्ज किए जाने से निराश है और सीएम से खुद के और अपने निवेशकों के लिए न्याय मांगा है.
बीजेपी के पूर्व विधायक ने क्या कहा?भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक चन्द्र प्रकाश शुक्ल ने टाइम सिटी कम्पनी में धोखाधड़ी मामले में दर्ज मुकदमें के सम्बन्ध में आज अपनी सफाई देते हुए कहा कि वे और उनका परिवार पूरी तरह से निर्दोष है. उन्हें और उनके भाई दीप चन्द्र शुक्ल को षड़यंत्र पूर्वक फंसाया जा रहा है. उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. सच्चाई सामने आयेगी और उनके परिवार को न्याय मिलेगा. 
पूर्व विधायक चन्द्र प्रकाश शुक्ल ने पत्रकारो को बताया कि वर्ष 2010 में टाइम सिटी कम्पनी की शुरुआत पंकज कुमार पाठक, संतोष कुमार सिंह, सुशील कुमार मिश्रा और उनके साथ हुई थी जिसमें वे अवैतनिक डायरेक्टर थे. कंपनी से अलगाव और उसके बाद के घटनाक्रम को देखते हुये उन्होने सितंबर 2017 में अपनी राजनीतिक व्यस्तताओं के कारण कंपनी से इस्तीफा दे दिया.
एक-एक कर इस्तीफे देते रहेइसके बाद, पंकज कुमार पाठक चेयरमैन बन गए और कंपनी का संचालन करने लगे. सितंबर 2019 में उनके छोटे भाई दीप चन्द्र शुक्ल ने भी जमाकर्ताओं के भुगतान न होने के कारण कंपनी छोड़ दी और 2020 में इस्तीफा दे दिया. उनकेे भाई दीप चंद्र शुक्ल के पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं था.
पूर्व विधायक चन्द्र प्रकाश शुक्ल ने बताया कि इस्तीफे के बाद पंकज पाठक ने संतोष सिंह, सुशील मिश्रा, अशोक सिंह और रीना (कंपनी की जीएम) के साथ मिलकर लोगों को ठगना शुरू कर दिया. इन लोगों ने कंपनी के खातों से करोड़ों रुपये निकालकर अपनी संपत्ति बनाई और सैकड़ों एकड़ जमीन बर्बाद कर दी. एक साल के भीतर महंगी जमीनें, गाड़ियां और आलीशान मकान बनाए गए.
हड़प लिए करोड़ों रुपयेटाइम सिटी ग्रुप की मल्टी स्टेट सोसाइटी के बैंक खातों से करीब 26 करोड़ रुपये पंकज ने अपनी पत्नी और साले के खातों में ट्रांसफर कर हड़प लिए गए. फैजाबाद और गोरखपुर में भी सोसायटी की करोड़ों की जमीन बेचकर जमाकर्ताओं का भुगतान नहीं किया गया.
पूर्व विधायक ने बताया कि कुछ समय पहले संतोष कुमार सिंह ने उनके भाई, परिवार के सदस्यों और उनके  खिलाफ लखनऊ के गुडम्बा थाने में एक फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था. जो पुलिस जांच में झूठा पाया गया और पुलिस ने इस मामले में फाइनल रिपोर्ट  लगा दिया. मेरे त्यागपत्र के बाद इन व्यक्तियों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का एक फर्जी लाइसेंस भी बनाया और बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया. 
इन जगहों पर दर्ज है एफआईआरनिवेशकों द्वारा पंकज कुमार पाठक और उनके सहयोगियों के खिलाफ लखनऊ में 2 एफआईआर और 14 परिवाद, जबकि बाराबंकी में 9 एफआईआर और 26 परिवाद दर्ज किए गए हैं. बाराबंकी पुलिस ने पंकज कुमार पाठक को 7 दिसंबर 2024 को जेल भेजा था. इलाहाबाद उच्च  न्यायालय ने 21 फरवरी 2025 को निवेशकों का पैसा वापस करने के निर्देश के साथ सशर्त जमानत दी थी, लेकिन भुगतान के लिए दी गई अधिकतर चेक बाउंस हो गईं. 
हाल ही में उच्च न्यायालय से सभी मामलों में जमानत मिलने के बाद पंकज पाठक ने कुछ निवेशकों से संपर्क किया और पैसा वापसी के बदले उन्हें और उनके भाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की शर्त रखी. इसी के परिणामस्वरूप गोरखपुर में पंकज पाठक के सहयोगियों प्रेम मोहन मौर्य, राजेंद्र यादव, आलोक श्रीवास्तव और राम मिलन मौर्य की मदद से तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं. उन्होने स्पष्ट किया कि इस मामले में वे, उनके छोटे भाई और उनका परिवार निर्दोष है.

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