Bihar: जामिया प्रोफेसर ने मां के 46 साल के दर्द को बयां कर लगाई मदद की गुहार, अपने ही पिता पर लगाए ये आरोप

by Carbonmedia
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नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रकीब आलम ने अपने पिता मोहम्मद आरिफ पर मां रुकैया खातून के सालों से हो रहे शोषण को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने ट्रिपल तलाक, गैर-इस्लामिक हलाला, शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न, संपत्ति हड़पने और जानलेवा हमलों की बात करते हुए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग समेत कई संस्थानों को पत्र भेजा है. 
पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डॉ. रकीब ने कहा कि उनकी मां को न्याय और सुरक्षा की सख्त जरूरत है. वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए बिहार के डीजीपी से रिपोर्ट तलब की है.
46 सालों से हो रही पति के उत्पीड़न की शिकार- रुकैया खातून
किशनगंज जिले के कोचाधामन निवासी रुकैया खातून ने मीडिया को बताया कि वे पिछले 46 सालों से पति के उत्पीड़न की शिकार रही हैं. शादी के एक साल के भीतर ही दहेज को लेकर मारपीट, जलता पानी डालने और सार्वजनिक रूप से अपमानित करने जैसी घटनाएं शुरू हो गई थीं. शादी के आठ साल बाद मोहम्मद आरिफ ने दूसरी शादी कर ली और करीब 31 साल पहले रुकैया को ट्रिपल तलाक दे दिया. इसके बाद उन्हें जबरन हलाला की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. 2012 में रुकैया अपने बेटे के पास दिल्ली चली गईं, लेकिन मोहम्मद आरिफ ने जबरन उन्हें वापस बिहार बुला लिया और इलाज में बाधा पहुंचाई, जिससे वे गंभीर बीमारियों का शिकार हो गईं.
आज भी सच्चाई को सोचकर कांप जाता हूं- डॉ. रकीब आलम 
डॉ. रकीब का आरोप है कि उनके पिता ने रुकैया खातून को मानसिक रूप से तोड़कर उनकी जमीन जबरन बिकवाई और उससे मिले पैसे अपनी दूसरी पत्नी के बेटों के लिए घर बनाने में खर्च कर दिए. उन्होंने कहा, “मेरे पिता ने मेरी मां को गुलामों की तरह रखा, और हलाला जैसी अमानवीय प्रथा के लिए मजबूर किया. मैं आज भी इस सच्चाई को सोचकर कांप जाता हूं.” रुकैया खातून ने बताया कि वह पिछले 13 साल से दिल्ली आना चाहती थीं, लेकिन मोहम्मद आरिफ उन्हें वहां जाने से रोकता रहा। कई बार उनके और उनके बेटे पर जानलेवा हमले भी किए गए.
मां-बेटे का दावा है कि मोहम्मद आरिफ को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते उनके खिलाफ अब तक कोई प्रभावी कानूनी कार्रवाई नहीं हो पाई. डॉ. रकीब ने कहा कि पुलिस और सामाजिक काउंसलिंग की कोशिशों के बावजूद न्याय नहीं मिला. अब उन्होंने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य संवैधानिक पदाधिकारियों से अपील की है कि रुकैया खातून को न्याय, स्थायी सुरक्षा और गरिमामय जीवन जीने का अधिकार दिया जाए. फिलहाल रुकैया खातून दिल्ली में चिकित्सकीय निगरानी में हैं और अपनी जान को खतरा मानते हुए कानूनी सुरक्षा की मांग कर रही हैं.

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