बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण अभियान को लेकर राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई है। इस प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। संजय कुमार ने आशंका जताई है कि इस अभियान के तहत बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं के नाम सूची से काटे जा सकते हैं, खासकर उन लोगों के जो बिहार के बाहर मौसमी प्रवासी के रूप में काम करते हैं। उन्होंने बताया कि 2003 में 18 साल के रहे मतदाता आज 40 साल के हो गए हैं, और बिहार के लगभग 40% मतदाता इसी आयु वर्ग में आते हैं। इन मतदाताओं को अपने निवास और आयु का प्रमाण देना होगा, जो कई लोगों के पास उपलब्ध नहीं है। विपक्षी दलों का मानना है कि इस प्रक्रिया से उनके समर्थक मतदाताओं के नाम अधिक कटेंगे, खासकर मुस्लिम, गरीब और दलित तबके के। कन्हैया बिलाली ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया है, हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ परेशानी है। उन्होंने उपेन्द्र कुशवाहा के बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि “समय बहुत कम दिया गया है। कैसे ये लोग कर लेंगे? 2003 में दो वर्ष लग गए और अभी ये एक महीना में कैसे कर लेंगे?” केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की 2024 की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया, जिसमें फर्जी राशन कार्ड रद्द करने का उल्लेख था, जिससे फर्जीवाड़े को रोकने की कोशिशों का संकेत मिलता है। बहस में यह भी सामने आया कि जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट जैसे आवश्यक दस्तावेजों की उपलब्धता बहुत कम है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों के लिए दस्तावेज जुटाना मुश्किल होगा।
Bihar Election 2025: कम समय और Document की कमी से लाखों Valid Voters के नाम कटने का खतरा
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