Bihar Elections 2025: BJP का पसमांदा मिलन: क्या ‘वोट बैंक’ की राजनीति ने मुसलमानों को तबाह किया? जानें सच्चाई!

by Carbonmedia
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Pasmanda Milan Samaroh: बिहार में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय के अटल सभागार में आज “पसमांदा मिलन समारोह” का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में पसमांदा समाज के लोगों ने शिरकत की. इस सम्मेलन का उद्घाटन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल और उप  मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया.
इस मौके पर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद कमरूजमा अंसारी और प्रदेश मीडिया प्रभारी दानिश इकबाल भी उपस्थित रहे और अपनी बात रखी. पसमांदा मिलन समारोह में आए समाज के लोगों को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने कहा कि भाजपा की यह विशेषता रही है कि यह सभी धर्म, समुदाय और वर्ग को साथ लेकर चलने की बात करती है.
यह ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे पर काम करती है. उन्होंने बिना किसी के नाम लिए विरोधियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि यहां मुसलमानों के नाम पर राजनीति खूब हुई, लेकिन कभी भी पसमांदा मुसलमानों को आगे बढ़ाने की कोशिश नहीं की गई.
उन्होंने कहा कि अगर पसमांदा का अर्थ की बात करें तो इसका अर्थ ही ‘जो पीछे छूट गए’ होता है, लेकिन किसी ने भी इनको आगे लाने की कोशिश नहीं की. इनके साथ बराबर भेदभाव किया गया. सबसे गौरतलब है कि इनका राजनीति में इस्तेमाल तो खूब किया गया लेकिन इनको राजनीति में हिस्सेदारी नहीं दी गई.
उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने पसमांदा मुसलमानों का जीना मुश्किल कर रखा है. उन्होंने कहा कि इन लोगों के साथ इतना भेदभाव हुआ है कि इसका नुकसान उनकी कई पीढ़ियों को भुगतना पड़ा है. भाजपा अध्यक्ष डॉ. जायसवाल ने कहा कि जब एनडीए की सरकार आई तब इन्हें आरक्षण दिया गया. उन्होंने पसमांदा समाज के लोगों को भरोसा देते हुए कहा कि भाजपा इनकी राजनीति में भी हिस्सेदारी सुनिश्चित करेगी.
इधर, भाजपा के मीडिया प्रभारी दानिश इकबाल ने इस मिलन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मुसलमानों में आज पसमांदा मुसलमानों की संख्या 70 से 80 प्रतिशत है लेकिन ये पिछड़े हुए हैं. उन्होंने स्पष्टता के साथ अपनी बात रखते हुए कहा कि वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने पसमांदा मुसलमानों को तबाह कर दिया है. उनके ही एक वर्ग ने पसमांदा मुसलमानों का शोषण किया, लेकिन सही अर्थों में इस पर कभी चर्चा नहीं की गई. 
उन्होंने कहा कि आज भी उन्हें बराबरी का हक नहीं मिलता, उन्हें नीचा समझा जाता है. यह सब पिछड़े हैं. इनके साथ इतना भेदभाव हुआ कि ये आगे बढ़ ही नहीं पाए. जब केंद्र और बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना के साथ इनका भी विकास किया गया है. इस सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से पसमांदा समाज के लोग पहुंचे और अपनी बातों को रखा. 
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