बिहार में कानून व्यवस्था पर एक टीवी चर्चा में हाल की आपराधिक घटनाओं पर गंभीर सवाल उठाए गए. 4 जुलाई को गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या, सिवान में तलवार से तीन लोगों की हत्या और 6 जुलाई को पूर्णिया में डायन होने के शक में एक परिवार के पांच लोगों की हत्या जैसी वारदातें सामने आईं. नालंदा और मुजफ्फरपुर में भी 6 जुलाई को हत्याएं हुईं. एक वक्ता ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि बिहार में अपराध दर राष्ट्रीय औसत से कम है, और हत्याओं में 18% और डकैती में 70% की गिरावट आई है. उन्होंने नीतीश कुमार की सरकार के ‘सुशासन’ की सराहना की. हालांकि, दूसरे वक्ता, पवन वर्मा ने इन दावों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि 2022 में बिहार हत्याओं में देश में दूसरे स्थान पर था और भूमि विवाद से जुड़े अपराधों में पहले स्थान पर, जिसमें 850 से अधिक हत्याएं हुईं. उन्होंने पुलिस में भ्रष्टाचार और मुख्यमंत्री के अस्वस्थ होने के कारण शासन-प्रशासन के अभाव का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “कुत्ता काट ले तो 14 सुई लगवा लो ठीक हो जाओगे पर कुर्सी काट ले तो कोई इलाज नहीं है.” यह चर्चा बिहार में बढ़ती आपराधिक घटनाओं और सरकार के दावों के बीच के अंतर को उजागर करती है.
Bihar Law and Order: Bihar में बढ़ते Crime पर गरमाई सियासत, आंकड़ों पर घमासान | Nitish Kumar
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