कांग्रेस ने गुरुवार को पटना मे आरोप लगाया है कि बिहार की पावन भूमि, जो माता जानकी की जन्मस्थली है, बीजेपी सरकार के जरिए उसका घोर अपमान किया गया है. केंद्र की बीजेपी सरकार ने संसद में यह कहते हुए माता सीता का अपमान किया कि माता सीता के सीतामढ़ी में जन्म लेने के कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है.
कांग्रेस एमएलसी ने क्या कहा?
कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा, “बीजेपी सरकार का यह बयान न केवल धार्मिक भावनाओं पर आघात है, बल्कि इसे बिहार के गौरव और अस्मिता का भी अपमान कहा जाएगा. इससे ज़्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि माता सीता के अस्तित्व पर ही भाजपा सरकार सवाल खड़ा कर दे. यह भारत की आध्यात्मिक आस्था पर कुठाराघात है.”
उन्होंने कहा कि “जनक की राजधानी मिथिला, विशेषकर सीतामढ़ी जिले का पुनौरा धाम, जहां राजा जनक ने हल चलाते समय भूमि से एक कन्या को प्राप्त किया था. जिन्हें “भूमिजा”, “जानकी” और “वैदेही” के नाम से जाना गया, जो बिहार की धार्मिक आस्था का केंद्र है. बिहारवासियों को गर्व है कि वे उस मिट्टी के वासी हैं, जहां माता सीता ने जन्म लिया, लेकिन यह गर्व आहत हुआ है.”
अब जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सीता मंदिर परियोजना का शिलान्यास करने बिहार आ रहे हैं, तो मांग उठ रही है कि वह पहले बिहार और भारतवासियों से माफी मांगें. एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि केंद्र की कांग्रेस सरकार ने एक जुलाई 2011 को IL&FS IDC Ltd. को राष्ट्रीय स्तर का सलाहकार नियुक्त किया था, जिसने बिहार समेत विभिन्न राज्यों में पर्यटन सर्किट की पहचान की. इस रिपोर्ट को 2013 तक पर्यटन मंत्रालय ने स्वीकार किया, और उसी के आधार पर रामायण सर्किट को मंजूरी दी गई, जो बिहार में उन स्थलों को जोड़ता है जो भगवान राम और माता सीता के जीवन से जुड़े हैं, विशेषकर उनकी जन्मभूमि और उनसे जुड़े पौराणिक स्थल हैं.
‘कांग्रेस काल में हुई इन सर्किटों की पहचान’
इस सर्किट में शामिल प्रमुख स्थलों में तार(Tar), अहिरौली (Ahirauli), रामरेखा घाट (Ram Rekha Ghat), प्रेतशिला पहाड़ (Pretshila Hills), गिद्धेश्वर (Giddheshwar), काको (Kako), सिंहेश्वर स्थान (Singheshwar Asthan), फुल्लहर (Phullahar), सीताकुंड (Sitakund), सीतामढ़ी (Sitamarhi), रेवेलगंज (Revelganj), रामचुरा (Ramchura) अहिल्या स्थान (Ahilya Asthan), जानकी मंदिर (Janki Temple, Sitamarhi), पुनौरा (Punaura), हलेश्वर स्थान (Haleshwar Asthan), पंथ पकड़ (Panth Pakar), चंकीगढ़ (Chanki Garh), वाल्मीकि नगर (Valmiki Nagar),
इन स्थलों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रामायण काल से जुड़ा हुआ है और इनसे बिहार की आध्यात्मिक विरासत को बल मिलता है. अन्य सर्किट जिन्हें कांग्रेस ने मान्यता दी उनमें बौद्ध सर्किट, बोधगया, नालंदा, राजगीर, वैशाली, कहलगांव और पटना जैसे स्थल, जो भगवान बुद्ध से जुड़े हैं. सूफी सर्किट में काको (बीबी कमाल), हाजीपुर, मनेर शरीफ, फुलवारी शरीफ, बिहार शरीफ आदि शामिल हैं.
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