Bihar Teacher News: बिहार के शिक्षकों को हैरान कर देगी ये खबर, 5 साल तक ट्रांसफर नहीं… और भी बहुत कुछ

by Carbonmedia
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बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए एक हैरान कर देने वाली खबर है. अब नियुक्ति की तिथि से लेकर पांच साल तक ट्रांसफर नहीं होगा. नई तबादला नियमावली को अंतिम रूप दिया जा रहा है. कैबिनेट से मंजूरी के बाद यह लागू हो जाएगा. ‘लाइव हिंदुस्तान’ पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है.
विशेष परिस्थिति में ही हो सकेगा ट्रांसफर 
ऐसा नियम लागू हो जाता है तो शिक्षकों के लिए झटका होगा. उन्हें हर हाल में नियुक्ति तिथि से पांच साल तक वहीं रहना होगा. हालांकि कुछ शिक्षकों को जरूर राहत दी गई है. पांच साल का नियम उन पर लागू नहीं होगा जो असाध्य और गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. इस तरह की विशेष परिस्थिति में इनका ट्रांसफर हो सकेगा. 
ट्रांसफर के लिए साल में दो बार कर सकेंगे आवेदन
बताया जाता है कि तबादले की पूरी प्रक्रिया ई-शिक्षा कोष पोर्टल के माध्यम से होगी. शिक्षक साल में दो बार (मई और नवंबर में) आवेदन कर सकेंगे. अभी राज्य में विभिन्न कोटि के शिक्षकों के तबादला के लिए स्पष्ट नियमावली नहीं है. यही कारण है कि शिक्षा  विभाग सभी कोटियों के शिक्षकों, मसलन पुराने शिक्षक, विशिष्ठ शिक्षक, विद्यालय अध्यापक, प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षकों के लिए समेकित तबादला नियमावली बना रहा है.
बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से अलग-अलग नियमावली तो बनी लेकिन उसे लागू नहीं किया जा सका. हाल में बीमारी, दूरी, ऐच्छिक, परस्पर आदि के आधार पर एक लाख शिक्षकों का तबादला किया गया है.
शिक्षा विभाग तैयार कर रहा नई नियमावली
रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा विभाग राज्य के करीब छह लाख स्कूली शिक्षकों के तबादले को लेकर नई नियमावली तैयार कर रहा है. नई नियमावली लागू होने पर जिला स्तरीय शिक्षकों का तबादला जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय कमेटी करेगी. इस कमेटी में उप विकास आयुक्त, एडीएम स्तर के एक अधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी होंगे.
प्रधानाध्यापक सहित प्रमंडल स्तर के शिक्षकों के तबादले को प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी बनेगी. इसमें क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक (आरडीडीई) सहित प्रमंडल स्तर के अधिकारी होंगे. विशेष परिस्थिति में इस आकलन के आधार पर भी शिक्षकों का तबादला पांच साल के पहले हो सकेगा, जब एक स्कूल में सृजित पद की तुलना में अधिक शिक्षक पदस्थापित हैं, जबकि दूसरे स्कूलों में शिक्षकों की कमी है.

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