बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. बहस के दौरान यह सवाल उठाया गया कि जब भारत सरकार की आधार वेबसाइट ‘मेरा आधार, मेरी पहचान’ का नारा देती है, तो चुनाव आयोग आधार को पहचान का प्रमाण क्यों नहीं मान रहा है. इसके बजाय, मतदाताओं से कई अलग-अलग प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं. यह आशंका जताई जा रही है कि इस प्रक्रिया से आम मतदाताओं का वोटिंग अधिकार और नागरिकता भी छिन सकती है. विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से मिलकर 20% वोट कटने की आशंका जताई है. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा है कि ‘एक मुकम्मल लोकतंत्र की मजबूती के लिए सही वोटर लिस्ट जरूरी है’. इस बयान पर सवाल उठे हैं कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव की वोटर लिस्ट फर्जी थी. मानसून के वक्त बाढ़ ग्रस्त इलाकों में दस्तावेज मांगने और बाहर काम करने वाले बिहारी मतदाताओं के लिए दस्तावेज जमा करने की चुनौती पर भी चर्चा हुई है. चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिना दस्तावेजों के भी फॉर्म जमा किए जा सकते हैं, जिनकी बाद में जांच होगी.
Bihar Voter List Revision: वोटर लिस्ट के मुद्दे पर भिड़ें Congress-JDU प्रवक्ता | Sandeep Chaudhary
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