सिरसा के चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी (CDLU) के प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न के मामले में जांच नहीं हो पाई है। इस वजह से लॉ डिपार्टमेंट की महिला प्रोफेसर ने VC डॉ. विजय कुमार को पत्र लिखा है। पत्र में मांग की है कि प्रोफेसर को लाइब्रेरियन पद से हटाया जाए और निष्पक्ष जांच की मांग की है। महिला प्रोफेसर का उन पर जांच प्रभावित करने का आरोप है। यूनिवर्सिटी के लॉ डिपार्टमेंट के डीन एवं विश्वविद्यालय पुस्तकालयाध्यक्ष प्रो. अशोक मक्कड़ के विरुद्ध उन्हीं के विभाग की महिला प्रोफेसर ने शिकायत प्रस्तुत की थी, जिसमें उनके द्वारा यौन, मानसिक, आर्थिक एवं विभागीय उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे। करीब दो महीने बीत जाने के बावजूद प्रो. अशोक मक्कड़ के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है। शिकायत में महिला प्रोफेसर ने बताया कि विधि विभाग में सहायक प्रोफेसर (अनुबंध) दो अन्य स्टाफ को भी अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान इसी तरह का सामना करना पड़ा था। यह बेहद निराशाजनक और हतोत्साहित करने वाला है कि प्रो. अशोक मक्कड़ प्रमुख प्रशासनिक पदों पर बने हुए हैं, जो स्पष्ट रूप से हितों के टकराव को दर्शाता है और किसी भी संभावित जांच की निष्पक्षता और स्वतंत्रता के लिए खतरा है। बता दें कि इस मामले में महिला प्रोफेसर एसपी को भी शिकायत दी थी और सीएम के नाम भी एप्लीकेशन भेजी हुई है। मगर अभी तक जांच सिरे नहीं चढ़ नहीं पाई है और न ही कोई कार्रवाई आगे बढ़ी। निष्पक्ष जांच बाधा डालना संभावित महिला प्रोफेसर का आरोप है कि इन प्रभावशाली पदों पर उनकी निरंतर उपस्थिति न केवल एक निष्पक्ष और निष्पक्ष जांच की संभावना में बाधा डालती है, बल्कि परिसर में महिला संकाय सदस्यों, जिनमें मैं भी शामिल है, की सुरक्षा और सम्मान की भावना के लिए भी खतरा पैदा करती है। यह मांग की प्रो. अशोक मक्कड़ को सीडीएलयू, सिरसा के विधि विभाग के डीन और लाइब्रेरियन के पद से तुरंत हटाया जाए। निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय से बाहर के विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र जांच समिति गठित करना। साक्ष्यों या गवाहों के साथ किसी भी तरह के प्रभाव या छेड़छाड़ को रोकने के लिए, जांच पूरी होने तक प्रो. अशोक मक्कड़ की सेवाएं निलंबित की जाएं। बार-बार पद का किया दुरुपयोग महिला प्रोफेसर का आरोप है कि प्रो. अशोक मक्कड़ ने उसकी नियुक्ति के बाद से बार-बार अपने पद का दुरुपयोग किया है और ऐसा करना जारी रखा है, जिससे मुझे बहुत परेशानी हो रही है। अब तक की उनकी निष्क्रियता विश्वविद्यालय प्रणाली के भीतर अन्य संभावित उत्पीड़कों और पीड़ितों के लिए एक खतरनाक संदेश भेजती है। बता दें कि महिला प्रोफेसर ने मैटरनिटी लीव मांगी थी, पर उसे नहीं दी गई। वह अपने घर पर छुट्टी पर थी और उसका इलाज चल रहा था। आरोप है कि इसके बावजूद उसे विभागाध्यक्ष ने अटेंडेंस रजिस्टर जमा करवाने उसे यूनिवर्सिटी में बुला लिया, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई थी। तब यह प्रताड़ना के आरोप लगाए थे।
CDLU के प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न मामले में जांच अटकीं:लॉ डिपार्टमेंट की स्टाफ ने VC को लिखा पत्र, जांच प्रभावित करने का आरोप
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