Chhattisgarh: 45 परिवारों वाला गांव बना बदलाव की मिसाल, ‘नियद नेल्लानार योजना’ ने कैसे बदली तस्वीर?

by Carbonmedia
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Chhattisgarh Latest News: सालों तक माओवाद की पीड़ा में सिसकने वाले छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का छोटा-सा गांव मुदवेंडी अब बदलाव की मिसाल बन गया है. जिला मुख्यालय से करीब 35-40 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव अब न केवल शुद्ध पेयजल और पक्की सड़क से जुड़ चुका है, बल्कि अब यहां बिजली की रोशनी ने भी दस्तक दे दी है. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) की ‘नियद नेल्लानार योजना’ की वजह से यह बदलाव संभव हुआ है.
इस गांव में केवल 45 परिवार रहते हैं, पर इनके जीवन में हाल के दिनों में जो परिवर्तन आया है, वह अभूतपूर्व है. पहले जहां शाम होते ही अंधेरा छा जाता था और रात में एक कदम चलना भी जोखिम भरा होता था, वहीं अब बिजली आने से न केवल घरों में उजाला हुआ है, बल्कि ग्रामीणों के दिलों में भी उम्मीद की लौ जल उठी है.
माओवाद से सुशासन तक की यात्रालंबे समय तक माओवादी हिंसा की वजह से विकास की मुख्यधारा से कटे रहे इस गांव में अब सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंचने लगी हैं. यह बदलाव केवल सुविधाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर सामाजिक और शैक्षणिक जीवन पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है.
‘बिजली आने से गांव में उत्सव का माहौल’गांव के ही लखमा कुंजाम का कहना है, “बिजली आने से गांव में उत्सव का माहौल है. अब रात्रि में भी घर के काम आसानी से हो जाते हैं, बच्चे पढ़ते हैं और गांव पहले से कहीं अधिक सुरक्षित महसूस करता है.”
गांव के निवासी हुंरा कुंजाम बताते हैं, “हमारे गांव में वर्षों बाद बिजली पहुंची है. पहले जहां अंधेरे में बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती थी, अब रात को भी बच्चे आराम से पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही सांप-बिच्छू और जंगली जानवरों के खतरे से भी अब राहत मिली है.”
वहीं दूसरे निवासी हुंरा कुंजाम बताते हैं कि ‘नियद नेल्लानार योजना’ के तहत सालों से बंद पड़ा स्कूल अब फिर से प्रारंभ हो चुका है. एक पीढ़ी के अंतराल के बाद गांव के बच्चों को अब अपने गांव में ही शिक्षा का अवसर मिल रहा है. ग्रामीणों के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है.
उम्मीद की किरण है ‘नियद नेल्लानार योजना’मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा माओवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए शुरू की गई ‘नियद नेल्लानार योजना’ वास्तव में अब एक क्रांतिकारी बदलाव की वाहक बन चुकी है. इस योजना के तहत न केवल विकास के कार्य हो रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों को सुरक्षा, विश्वास और आत्मनिर्भरता की नई राह भी मिल रही है.
मुदवेंडी गांव की यह कहानी बताती है कि जब शासन की नीयत साफ हो और योजनाएं ज़मीन पर उतरें, तो दूरस्थ अंचलों में भी बदलाव की किरण पहुंच सकती है. अब अंधेरे की जगह उजाले की पहचान है मुदवेंडी. यह है सुशासन का सच और नई छत्तीसगढ़ की दिशा.

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