Maharashtra News: महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का मुद्दा फिर गरमा गया है. प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि हम सब लोग अंग्रेजी की प्रशंसा करते हैं और भारतीय भाषाओं का तिरस्कार करते हैं, ये सही नहीं है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषा के साथ अतिरिक्त भाषा सीखने में क्या गलत है?
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ”मैंने राज ठाकरे से बात की है. उन्होंने कहा कि केवल दो भाषाएं होनी चाहिए और तीसरी भाषा न थोपें. मैंने उनसे कहा कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उचित विचार-विमर्श के साथ पूरे देश में 3 भाषा नीति लाई है.”
एनईपी पूरे देश के लिए है- देवेंद्र फडणवीस उन्होंने आगे कहा, ”एनईपी पूरे देश के लिए है और महाराष्ट्र दो भाषा नीति नहीं अपना सकता. तमिलनाडु 3 भाषा नीति के खिलाफ अदालत गया था, जिसे अदालत ने भी स्वीकार नहीं किया. अपनी क्षेत्रीय भाषा सीखते समय अगर कोई छात्र एक अतिरिक्त भाषा सीखता है, तो इसमें क्या गलत है? अतिरिक्त भाषा उनके ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगी. विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा के बाद एनईपी लाया गया था.”
भारतीय भाषाएं अंग्रेजी से कहीं बेहतर- फडणवीस
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने ये भी कहा, ”हमने नई जीआर में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने की शर्त को हटा दिया है. अब आप किसी भी भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में चुन सकेंगे. 3 भाषा नीति एनईपी के अनुसार है. यदि किसी विशेष भारतीय भाषा को सीखने के लिए लगभग 20 छात्र उपलब्ध हैं, तो शिक्षक उपलब्ध कराया जाएगा या इसे ऑनलाइन भी पढ़ाया जा सकता है. मैं केवल एक बात कहना चाहता हूं कि हम सभी अंग्रेजी भाषा की प्रशंसा करते हैं और भारतीय भाषाओं का अनादर करते हैं, यह सही नहीं है. भारतीय भाषाएं अंग्रेजी से कहीं बेहतर हैं.”
बता दें कि संशोधित सरकारी आदेश में कहा गया है कि हिंदी अनिवार्य होने के बजाय ‘सामान्य रूप से’ तीसरी भाषा होगी, लेकिन अगर किसी स्कूल में क्लास में 20 छात्र हिंदी के अलावा किसी अन्य भारतीय भाषा का अध्ययन करने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो उन्हें इससे बाहर रहने का विकल्प दिया गया है.
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