Co-operative Banks in UP: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में उत्तर प्रदेश में सहकारी बैंकों की हालत तेजी से सुधरी है. पहले जो बैंक घाटे में चल रहे थे, आज वो मुनाफा कमा रहे हैं. किसानों को खेती के लिए आसान कर्ज मिल रहा है और छोटे कारोबारियों को व्यापार बढ़ाने का मौका. सरकार की पारदर्शी नीति और मजबूत योजना की वजह से सहकारिता क्षेत्र में एक नई क्रांति आई है.
साल 2017 में उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक ने जहां 9190 करोड़ रुपये का ऋण बांटा था, वहीं 2025 में यह बढ़कर 23061 करोड़ रुपये हो गया है. यानी ढाई गुना से ज्यादा. इसका सीधा फायदा उन किसानों और छोटे उद्यमियों को मिला, जो बैंकिंग सुविधा से दूर थे.
तीन गुना मुनाफा, बैंक खुद भी हुआ मजबूत
सिर्फ कर्ज देना ही नहीं, बल्कि बैंक खुद भी आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है. यूपी कोऑपरेटिव बैंक का शुद्ध लाभ 2017 में 32.82 करोड़ रुपये था, जो अब 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो गया है. यानी तीन गुना की बढ़त. यह बताता है कि बैंक अब अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. प्रदेश के 50 जिला सहकारी बैंकों का कुल कारोबार बढ़कर अब 41234 करोड़ रुपये पहुंच गया है. साथ ही इन बैंकों का शुद्ध लाभ 36 करोड़ से बढ़कर 162 करोड़ रुपये हो गया है. यह पांच गुना की बढ़त है, जो दर्शाता है कि सरकार की योजनाएं सही दिशा में काम कर रही हैं.
किसानों को खेती के लिए जरूरी कर्ज यानी फसली ऋण में भी बड़ा उछाल आया है. यह ऋण 2017 में जितना था, अब वह दोगुना होकर 11516 करोड़ रुपये हो गया है. इसका असर गांव-देहात में साफ देखा जा सकता है, जहां किसान अब बिना साहूकार के खेती कर पा रहे हैं. सरकार ने 13 नए सहकारी बैंक शाखाएं खोली हैं और 3000 से ज्यादा पैक्स समितियों को बहुसेवा केंद्र के रूप में बदला है. अब गांवों में ही बीज, खाद, बीमा और बैंक की सभी सुविधाएं मिल रही हैं. इससे लोगों को शहर नहीं भागना पड़ता.
सहकारी ढांचे को लेकर सीएम योगी ने क्या कहा?
गौरतलब है कि 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने थे, तब प्रदेश का सहकारी ढांचा कमजोर था. कई बैंक घाटे में चल रहे थे और किसानों को समय पर कर्ज नहीं मिल पाता था. लेकिन बीते 7 वर्षों में सहकारिता विभाग में सुधार, डिजिटलीकरण और पारदर्शी प्रक्रिया ने इस पूरी तस्वीर को बदल दिया है. अब सहकारी बैंक सिर्फ नाम के नहीं, बल्कि गांव और किसान की असली ताकत बन चुके हैं. सीएम योगी का साफ कहना है, “ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है तो सहकारिता को सशक्त बनाना ही होगा.
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