दिल्ली में हाईटेक ठगी का मामला सामने आया है, जहां साइबर ठग मोबाइल में एक खास फाइल भेजकर लोगों की जिंदगी की जमा-पूंजी पर हाथ साफ कर रहे थे. पुलिस ने दो शातिर ठगों को दबोचा है.
दिल्ली पुलिस की साइबर टीम ने 20 दिन तक टेक्निकल ट्रैकिंग और डिजिटल पड़ताल के बाद इस गिरोह के दो मास्टरमाइंड को दबोच लिया. एक आरोपी झारखंड के धनबाद से पकड़ा गया, जबकि दूसरा पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले से. दोनों की पहचान शंकर और प्रदीप के रूप में हुई है, जो पहले से ही हत्या और साइबर अपराधों में लिप्त रह चुके हैं.
इस फॉर्मूले से बनाते थे लोगों को शिकार
इस गैंग का तरीका बेहद सुनियोजित था. ये खुद को सरकारी बैंक का अधिकारी बताकर लोगों को कॉल करते थे. फिर एक फर्जी बहाना, जैसे चेक बाउंस या खाता ब्लॉक होने की बात बनाकर डर पैदा करता.
इसके बाद ‘सिस्टम ठीक करने’ के नाम पर मोबाइल पर एक डॉट एपीके फाइल भेजते, जो असल में एक स्पायवेयर एप्लिकेशन होता था. जैसे ही कोई इस फाइल को इंस्टॉल करता, फोन की सुरक्षा खत्म और बैंक खाता उनके काबू में आ जाता.
डीसीपी साउथ वेस्ट अमित गोयल ने बताया कि दिल्ली के एक पीड़ित ने साइबर सेल पुलिस को 30 जून को चीटिंग की शिकायत दी थी. जिसमें बताया गया कि एक सरकारी बैंक का अधिकारी बता कर फोन पर उससे किसी न संपर्क किया.
चेक बाउंस करने की बात कह कर उन्हें झांसे में लिया गया और उनके मोबाइल पर डॉट एपीके फाइल भेजी, जिसके बाद उनके खाते से 10 लाख 64 हजार रुपये निकल गए.
कड़ी निगरानी, तकनीकी ट्रैकिंग और दबिश
जैसे ही पुलिस को शिकायत मिली, एफआईआर दर्ज करके छानबीन शुरू की गई. इसके लिए एक स्पेशल टीम बनाई गई. जिस नंबर से कॉल आया था और जिस बैंक अकाउंट में अमाउंट ट्रांसफर हुआ था, उन सबकी डिटेल खंगाली गई.
एसीपी ऑपरेशन विजय कुमार की निगरानी में एसएचओ प्रवेश कौशिक और उनकी टीम ने मोबाइल नंबर, कॉल रिकॉर्ड्स, बैंक ट्रांजैक्शन और डिजिटल लोकेशन का बारीकी से विश्लेषण किया. आखिरकार 20 दिन की मेहनत के बाद पुलिस को सुराग मिले और फिर दोनों ठगों को उनके ठिकानों से गिरफ्तार किया गया.
उनके पास से छह स्मार्टफोन, कॉलिंग गैजेट्स और एक खास पेमेंट एप्लीकेशन बरामद हुआ, जिससे ठगी की रकम को तुरंत देशभर के अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया जाता था.
अपराध की दुनिया के पुराने खिलाड़ी
शंकर और प्रदीप दोनों पहले से ही आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं. शंकर का काम था खुद को बैंक अधिकारी बताकर लोगों को फोन करना और उन्हें बातचीत में उलझाना. वहीं प्रदीप टेक्निकल ऑपरेशन का मास्टर था, जो पेमेंट सिस्टम को संचालित करता और पैसे को तुरंत ट्रेसलेस बना देता. दोनों पर पहले से हत्या जैसे संगीन मामले दर्ज हैं.
गिरोह में और कौन-कौन शामिल?
फिलहाल पुलिस इस पूरे नेटवर्क की तह तक जाने में जुटी है. शक है कि यह गैंग देश के कई हिस्सों में फैला हुआ है और इनका ऑपरेशन पूरी तरह डिजिटल और मोबाइल-बेस्ड है. पुलिस बरामद फोन और ऐप की फॉरेंसिक जांच कर रही है ताकि बाकी सदस्यों तक पहुंचा जा सके.
Delhi: एक खतरनाक फाइल और मिनटों में उड़ा दिए साढ़े 10 लाख रुपये, 2 शातिर ठग गिरफ्तार
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