Delhi: कोड वर्ड में बिक रही मौत! दिल्ली में 4 दिन में 250 से अधिक पक्षी चीनी मांझे से घायल

by Carbonmedia
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दिल्ली में पतंगबाजी का जुनून एक बार फिर घातक होता जा रहा है. बाजार में चीनी मांझा चुपके से दाखिल हो चुका है और अब लोगों के हाथों तक भी जा रहा है और ये सब कुछ प्रशासन के नाक के नीचे कोड वर्ड में हो रहा है.
जी हां, चीनी मांझा अब सादे कागज में लपेटकर, व्हाट्सएप ऑर्डर के जरिए और तय स्थानों पर डिलीवरी के साथ बेचा जा रहा है. इसका कोड वर्ड है- ‘धागा 302’.
कहां हो रही चीनी मांझे की डिलीवरी?
लालकुआं, सदर बाजार, तुर्कमान गेट और ओखला जैसे इलाकों में यह काले बाजार का हिस्सा बन चुका है. दुकानदार ज्यादा कीमत पर पहले से बुकिंग कर रहे हैं और इसकी डिलीवरी तय जगह पर दी जा रही है. 
इस मांझे को चरखी में नहीं, बल्कि छिपाकर बेचा जा रहा है ताकि कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके. जबकि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत इसका निर्माण और बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित है, फिर भी इसका व्यापार लगातार जारी है.
कई पक्षी हो चुके हैं घायल
राजधानी में बीते चार दिनों में 250 से अधिक पक्षी चीनी मांझे की वजह से गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं. “विद्या सागर जीव दया परिवार” जैसे संगठनों के अनुसार, इन घायल पक्षियों में कई की आंखों की रोशनी चली गई, पंख कट गए और कुछ की जान तक चली गई. यह मांझा बैन होने के बावजूद दिल्ली में खुलेआम कोड वर्ड ‘धागा 302’ के नाम पर बेचा जा रहा है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण, बल्कि जीवों की जान को भी सीधा खतरा है.
पक्षियों की जान पर आफत, हर दिन 75–100 कॉल्स
संगठन के निदेशक अभिषेक जैन ने बताया कि 1 से 4 अगस्त के बीच उन्हें 300 से अधिक मदद के कॉल मिले, जिनमें से हर दिन औसतन 50 पक्षियों को बचाया गया. दुर्भाग्य से हर 50 में से कम से कम 5 पक्षी इतने गंभीर रूप से घायल होते हैं कि बचाए नहीं जा सकते. खासतौर पर कबूतर, चील और तोते इसकी सबसे ज्यादा चपेट में आ रहे हैं. 
पुलिस की कार्रवाई और जनता से अपील
4 अगस्त को दिल्ली पुलिस ने 2 लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से 660 रोल चीनी मांझा बरामद किया. इसके बावजूद बाजार में इसकी आपूर्ति बदस्तूर जारी है. पीटीआई के अनुसार, एनजीओ, डॉक्टर और दुकानदार अब सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और जनता से भी अपील कर रहे हैं कि इस जानलेवा मांझे को न खरीदा जाए और न ही बेचा जाए.
कितना खतरनाक है चीनी मांझा और क्या है सजा
यह नायलॉन या प्लास्टिक से बना होता है, जिस पर कांच और धातु की परत चढ़ाई जाती है, जिससे यह बेहद धारदार हो जाता है. इसे खरीदने पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत 5,000 रुपये तक जुर्माना या एक साल तक की सजा होती है.

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