Delhi News: दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने बुधवार (4 जून) को जानकारी दी कि दक्षिणी दिल्ली के गोविंदपुरी स्थित भूमिहीन कैंप में झुग्गियों को तोड़ने की कार्रवाई पिछले महीने की गई थी. यह कार्रवाई हाई कोर्ट द्वारा याचिकाएं खारिज किए जाने के बाद की गई.
26 मई 2025 को हाई कोर्ट ने 45 याचिकाकर्ताओं की अर्जी खारिज कर दी थी. ये याचिकाकर्ता सर्वे सूची में नाम न होने की श्रेणी में आते थे. पीटीआई के अनुसार, DDA के बयान के मुताबिक, मई 2025 में जिन झुग्गियों को गिराया गया, वे इन्हीं 45 याचिकाकर्ताओं से जुड़ी थीं.
2015 से पहले रहने वालों को माना गया पात्र- DDA
DDA के अनुसार, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) की नीति के तहत, 1 जनवरी 2015 से पहले झुग्गी बस्तियों में रहने वालों को पात्र माना गया है. इस नीति के आधार पर भूमिहीन कैंप के 1,862 परिवारों को योग्य पाया गया और उन्हें कालकाजी एक्सटेंशन में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की श्रेणी के फ्लैट आवंटित किए गए. पात्रता के लिए मतदाता सूची में नाम और अन्य पहचान पत्रों में 2015 से पहले की उपस्थिति जरूरी थी. कुल 1,618 झुग्गियों में से अब तक 935 को ध्वस्त किया जा चुका है.
धार्मिक ढांचे और स्टे ऑर्डर बनीं रुकावट- DDA
DDA ने यह भी बताया कि शेष 683 झुग्गियों को नहीं गिराया जा सका क्योंकि इनमें से कई पर कोर्ट का स्टे ऑर्डर है, कुछ झुग्गियां पास-पास होने के कारण प्रभावित नहीं की गईं, और 7 धार्मिक ढांचे भी इसी क्षेत्र में स्थित हैं. इन बाधाओं के चलते पूरी बस्ती को हटाने की प्रक्रिया अधूरी रह गई है.
कुल 55 याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गई थीं, जिनमें 435 याचिकाकर्ता शामिल थे. ये सभी मामले न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की अदालत में लंबित हैं. DDA के अनुसार, याचिकाकर्ताओं को छह श्रेणियों में बांटा गया है, जिनमें सर्वे सूची में नाम न होना, वाणिज्यिक उपयोगकर्ता, 2015 से पहले नाबालिग रहने वाले और अन्य श्रेणियां शामिल हैं. प्राधिकरण का कहना है कि वह कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए चरणबद्ध तरीके से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है.