राजधानी दिल्ली में प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड ग्राउंड, दिल्ली रिज में “एक पेड़ मां के नाम 2.0” कार्यक्रम का आयोजन किया गया. दिल्ली सरकार के वन मंत्रालय की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में दिल्ली हाईकोर्ट के जज HMJ गिरीश कठपालिया, पर्यावरण वन व वन्य जीव मंत्री सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा, सीनियर काउंसिल ऑफ इंडिया मुकुल रोहतगी, हरविंदर सिंह फुलका, वरिष्ठ वकील के साथ ही कई जाने माने लोग उपस्थित रहे.
इस कार्यक्रम में एबीपी न्यूज की वाइस प्रेसिडेंट और सीनियर एंकर चित्रा त्रिपाठी ने भी अपनी मां सरोज त्रिपाठी के नाम एक पेड़ लगाया. इस दौरान सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि ये अभियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोशिशों का विस्तार है.
एक पेड़ मां के नाम’ के सार में हमारी भावना है. अपनी मां के नाम पर एक पेड़ लगाना, यह हमारे दो मिशन को साकार करता है: जीवन के पोषण में माताओं की भूमिका का सम्मान और पृथ्वी के स्वास्थ्य में पूरा योगदान, पेड़ जीवनदायी होते हैं. एक मां की तरह, वे अगली पीढ़ी को पोषण, सुरक्षा और भविष्य प्रदान करते हैं.
इस पहल के माध्यम से, हर एक व्यक्ति ना केवल अपनी मां के सम्मान में एक स्थायी स्मृति बनाते हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता को भी समझते हैं.
‘हर पेड़ हमें मां की छांव महसूस कराता है’
कार्यक्रम में चित्रा त्रिपाठी ने कहा कि हर पेड़ हमें मां की छांव महसूस कराता है. एक पेड़ मां के नाम हमारे लिये महज़ औपचारिकता नहीं है, ये हमारी भावनाओं से जुड़ा एक ऐसा विषय है जो हमें जन्म देने वाली मां की तरह धरती मां के प्रति भी भावनात्मक रूप से जोड़ता है. हमारी कोशिश होनी चाहिये कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक इसी भावना का विस्तार करें ताकि लोग बढ़ चढ़कर पेड़-पौधे लगाकर धरती माता के जीवन को खुशहाल बनाये.
‘पेड़-पौधे धरती मां का शृंगार हैं’
दरअसल, इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को ये बताना था कि एक पेड़ मां के नाम” महज एक कार्यक्रम नहीं, एक संस्कार है . मां के प्रति श्रद्धा और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक. आज जब दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौती झेल रही है, तब हर एक पेड़ एक आशा की किरण है. और जब वह पेड़ मां के नाम हो — तो वह केवल हरियाली नहीं,हमारी भावना को भी धरती मां के प्रति जीवंत करता है. वास्तविकता भी है कि हर बच्चा अपनी मां को जब श्रृंगार में देखता है तो भाव विह्वल हो उठता है. वैसे ही पेड़-पौधे धरती मां का श्रृंगार हैं.
मां के नाम के साथ हमारे दिल में ममता, त्याग और अपनत्व का समंदर उमड़ पड़ता है. मां ने हमें जन्म दिया, पाला, सींचा , हमें बड़ा कर सपने को पूरा करने में मदद की. ठीक वैसे ही जैसे एक माली अपने बग़ीचे की नन्ही कोंपलों को सींचता है.उन्हें बड़ा करता है. तो उससे जुड़ाव बिल्कुल बच्चे जैसा हो जाता है. आज जब हम तेज़ी से बदलती दुनिया में प्राकृतिक संसाधनों की कमी और जलवायु संकट का सामना कर रहे हैं, ऐसे में “एक पेड़ मां के नाम” जैसा भावनात्मक और पर्यावरणीय अभियान हमें एक नई दिशा देते हैं. हमें प्रकृति के और क़रीब ले जाते हैं.
Delhi News: दिल्ली में ‘एक पेड़ मां के नाम’, पर्यावरण और मातृत्व का अनूठा संगम
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