Delhi Riots 2020 Case: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों के पीछे कथित साजिश को लेकर गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) मामले की आरोपी गुलफिशा फातिमा ने मंगलवार (27 मई) को हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी कि वह एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थी और दंगों से संबंधित हिंसा में उसकी संलिप्तता दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है.
फातिमा के वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष अपनी दलीलों में यह दावा किया. जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की पीठ फातिमा की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. वकील ने अभियोजन पक्ष के उन आरोपों पर आपत्ति जताई कि उनकी मुवक्किल ने स्थानीय महिलाओं को लाल मिर्च पाउडर, बोतलें और डंडे इकट्ठा करने के लिए उकसाया. वकील ने इस बात पर जोर दिया कि फातिमा के कब्जे से कुछ भी बरामद नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि फातिमा ने सीलमपुर में भले ही प्रदर्शन स्थल को संगठित किया था, लेकिन जिस समय वह जाफराबाद में आयोजित चक्का जाम में मौजूद थी, उस समय माहौल शांतिपूर्ण था. उन्होंने कहा कि वह सीलमपुर की स्थायी निवासी है.
मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी
वकील ने गवाहों के बयानों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए और आरोप लगाया कि अभियोजन पक्ष ने ‘तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने’ की कोशिश की है. हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए एक जुलाई की तारीख निर्धारित की है.
उमर खालिद, शरजील इमाम और कई और लोगों पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत फरवरी 2020 के दंगों के कथित तौर पर ‘मुख्य साजिशकर्ता’ होने का मामला दर्ज किया गया है. इस घटना में 53 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. शरजील इमाम और और सह-आरोपियों- खालिद सैफी, फातिमा और और- की जमानत याचिकाएं 2022 से हाई कोर्ट में लंबित हैं और समय-समय पर अलग-अलग पीठों द्वारा सुनवाई की गई है.
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