DUSU चुनाव में मासूम शर्मा के प्रचार को लेकर विवाद:NSUI के रौनक खत्री ने जताई आपत्ति, कहा-खर्च का सोर्स बताए एबीवीपी

by Carbonmedia
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दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव प्रचार में हरियाणवी सिंगर मासूम शर्मा द्वारा प्रचार करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने कड़ा विरोध जताया है। एनएसयूआई के नेता रौनक खत्री ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) पर गंभीर आरोप लगाए।
उनका दावा है कि मासूम शर्मा के प्रचार के जरिए डूसू चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है और इस प्रचार के खर्च का कोई हिसाब-किताब सार्वजनिक नहीं किया गया है।
पहली बार हरियाणवीं सिंगर बुलाया
डूसू चुनाव हमेशा से ही छात्र राजनीति का एक बड़ा मंच रहा है, जहां विभिन्न छात्र संगठन अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करते हैं। इस बार चुनाव प्रचार के दौरान मासूम शर्मा जैसे लोकप्रिय चेहरों को शामिल करने से विवाद और गहरा गया है। क्योंकि हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, सोनीपत, बहादुरगढ़ और झज्जर समेत लगभग सभी जिलों से विद्यार्थी पढ़ने जाते हैं।
एनएसयूआई ने आरोप लगाया कि मासूम शर्मा के गानों और उनके प्रचार कार्यक्रमों का इस्तेमाल युवा वोटरों को आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है, जो कि चुनावी नियमों का उल्लंघन है।
उन्होंने मांग की है कि एबीवीपी इस प्रचार के लिए किए गए खर्च का पूरा ब्योरा सार्वजनिक करें। इस तरह के प्रचार अभियान न केवल दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनावी नियमों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि यह छात्रों के बीच धनबल और प्रभाव का गलत इस्तेमाल भी दर्शाते हैं।
एनएसयूआई का कहना है कि डूसू चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने मासूम शर्मा के प्रचार कार्यक्रमों की जांच की मांग की है ताकि यह पता चल सके कि इसके लिए धन कहां से आया और कितना खर्च किया गया।
दूसरी ओर एबीवीपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह एनएसयूआई की हताशा का नतीजा है, क्योंकि वे चुनाव में अपनी पकड़ खो रहे हैं।
एबीवीपी प्रवक्ता ने दावा किया कि मासूम शर्मा का प्रचार पूरी तरह से स्वैच्छिक है और इसमें कोई अनुचित खर्च नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि एनएसयूआई इस तरह के मुद्दों को उठाकर केवल ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
भाजपा सरकार गाने बैन कर चुकी है और एबीवीपी भाजपा की ही छात्र इकाई है।

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