FATF की ग्रे लिस्ट से हटने के लिए पाकिस्तान ने साल 2019 में नेशनल एक्शन प्लान लागू किया था, जिसके तहत पाकिस्तान ने FATF को दिखाया था कि अपने देश में मौजूद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर लगाम लगाने के लिए उसके मरकजों को सरकार ने अपने नियंत्रण में लिया था.
साथ ही जैश ए मोहम्मद के सरगना आतंकी मसूद अजहर, उसके भाई आतंकी रऊफ असगर और सबसे छोटे भाई आतंकी तल्हा अल सैफ के बैंक खातो को सरकारी निगरानी की सूची में डाल दिया था. साथ ही नोटों के लेनदेन, जानवर की खाल का चंदा और चंदे पर प्रतिबंध लगा दिया था.
जैश-ए-मोहम्मद तक पैसा पहुंचाने का नया पैतरा
इस प्रतिबंध के बाद अब आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने पाकिस्तान में संचालित डिजिटल वॉलेट ‘EasyPaisa’ और ‘SadaPay’ से चंदा इकट्ठा करना और लेनदेन करना शुरू कर दिया था और पैसा बैंक अकाउंट की जगह आतंकी मसूद अजहर के परिजनों की डिजिटल वॉलेट में ट्रांसफर हो रहा है, ताकि पाकिस्तान की सरकार FATF के सामने बैंक अकाउंट की डिटेल्स रखकर झूठ बोल पाए कि उसने जैश ए मोहम्मद की फंडिंग पर रोक लगा दी है.
ध्वस्त ट्रेनिंग कैम्प का बनवाने का ऐलान
7 मई को भारत के ऑपरेशन सिंदूर में जैश ए मोहम्मद का हेडक्वार्टर मरकज सुभानल्लाह ध्वस्त हो गया था. साथ ही जैश के अन्य 4 ट्रेनिंग कैम्प मरकज बिलाल, मरकज अब्बास, महमोना जोया, सर्जल ट्रेनिंग कैम्प भी ध्वस्त हुए थे. जहां एक तरफ पाकिस्तान की सरकार इन ध्वस्त हुए जैश के ट्रेनिंग कैम्प को फिर से बनवाने के लिए पैसा देने का ऐलान कर चुकी है तो दूसरी तरफ अब जैश ए मोहम्मद ने पूरे पाकिस्तान में 313 नए मरकज बनाने के नाम पर 391 करोड़ का चंदा ऑनलाइन डिजिटल वॉलेट ‘EasyPaisa’ से इकट्ठा करना शुरू कर दिया है.
पैसे इकट्ठा करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और व्हाट्सएप चैनल पर जैश ए मोहम्मद से जुड़े प्रॉक्सी अकाउंट्स ने पोस्टर, वीडियो और आतंकी मसूद अजहर की चिट्ठी जारी करके कैंपेन चलाना शुरू कर दिया है कि जैश ए मोहम्मद पूरे पाकिस्तान में 313 नए मरकज बनवा रहा है.
एक मरकज के निर्माण में जैश ए मोहम्मद को 1 करोड़ 25 लाख रुपयों की जरूरत है. ऐसे में पाकिस्तान समेत दुनिया के अन्य हिस्सों में रहने वाले जैश ए मोहम्मद के समर्थक अपने हिस्से का चंदा ट्रांसफर करें. यानी कुल मिलाकर 313 मरकज के निर्माण में 391 करोड़ रुपए लगने वाले हैं.
तीन पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट में पैसा इकट्ठा
साथ ही आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के महा चंदा अभियान की रसीद की कॉपी भी एबीपी न्यूज के पास मौजूद है. एबीपी न्यूज को अपनी पड़ताल में यह भी सबूत मिला है कि आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद मरकज के निर्माण के लिए जो 394 करोड़ का चंदा इकट्ठा कर रहा है, वो तीन पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट में इकट्ठा कर रहा है.
पहला डिजिटल वॉलेट आतंकी मसूद अजहर के भाई तल्हा अल सैफ के नाम का SadaPay अकाउंट है, जो पाकिस्तानी मोबाइल नंबर के साथ जुड़ा हुआ है. ये मोबाइल नंबर पाकिस्तान के हरीपुर जिले में रहने वाले जैश के कमांडर आफताब अहमद के नाम से रजिस्टर्ड है और जिस CNIC नंबर से ये मोबाइल नंबर लिंक है, उस पर जैश ए मोहम्मद के हरिपुर के खाला बट्ट टाउनशिप इलाके के कैम्प का पता लिखा हुआ है.
चंदे के अलावा जमीन की भी मांग
इसी तरह चंदे का ये खेल EasyPaisa नाम की भी एक डिजिटल वॉलेट से भी चल रहा है, जो पाकिस्तानी मोबाइल नंबर से लिंक है और इस डिजिटल वॉलेट का संचालन जैश ए मोहम्मद सरगना मसूद अजहर का बेटा अब्दुल्लाह अजहर कर रहा है. चंदे के अलावा जैश ए मोहम्मद ने लोगों से 313 मरकज के निर्माण के लिए जमीन की भी मांग की है.
खैबर पख्तूनख्वाह में जैश ए मोहम्मद के लिए चंदा उसका आतंकी कमांडर सैयद सफदर शाह अपने EasyPaisa अकाउंट के वॉलेट में इकट्ठा कर रहा है, जो इसके मोबाइल नंबर से लिंक है और ये मोबाइल नंबर जैश ए मोहम्मद के आतंकी सफदर शाह के 13 अंकों वाले CNIC के साथ जुड़ा हुआ है, जिसमें आतंकी सफदर शाह का पता खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत का जिला मनसेहरा शहर ओघी के मेलवाराह डाकखाने के पास लिखा हुआ है.
भारत की स्ट्राइक में तबाह हुआ हेडक्वार्टर
वैसे तो मरकज का निर्माण करना इस्लाम में मजहब का पाक काम है, लेकिन जैश ए मोहम्मद जैसा आतंकी संगठन इन मरकजों का इस्तेमाल आतंकवाद की ट्रेनिंग और आतंकियों के ठहरने के हमेशा लिए करता है. 7 मई को भारत ने जिस मरकज सुभानल्लाह पर स्ट्राइक की थी, वो जैश ए मोहम्मद का ना सिर्फ हेडक्वार्टर था, बल्कि वहां पर आतंकियों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी और उनके रहने की व्यवस्था थी.
भारत के उस हमले में जैश ए मोहम्मद के आतंकी और मसूद अजहर की बहन के पति जमील अहमद, मसूद अजहर के भतीजे और आतंकी हमजा जमील, मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ के बेटे और जैश ए मोहम्मद के लिए खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों की भर्ती की जिम्मेदारी संभालने वाले हुज़ैफा असगर समेत कुल 14 लोगो की मौत हुई थी.
स्ट्राइक में आतंकी हसन और वकास की मौत
इसी तरह बहावलपुर की मरकज सुभानल्लाह से 6 किलोमीटर दूर ही जैश ए मोहम्मद की एक और मरकज है, जिसका नाम मरकज उस्मान ओ अली है. इस मरकज में मरकज सुभानअल्लाह पर भारत की स्ट्राइक के बाद से ही मसूद अजहर के परिवार के सदस्य रह रहे हैं और ये ऑपरेशन सिंदूर के बाद 10 मई की तस्वीर है, जिसमें मसूद अजहर के घायल परिजनों से बहावलपुर के सांसद ने मुलाकात की.
साथ ही दूसरी तस्वीर 21 मई की है, जब लश्कर ए तैयबा के आतंकी मसूद के परिजनों से मिलने मरकज उस्मान ओ अली गए थे. इसी तरह मुजफ्फराबाद में मरकज बिलाल, कोटली में मरकज अब्बास का निर्माण भी जैश ने आतंकियों के रहने और उनकी ट्रेनिंग के लिए करवाया था, जहां भारत की स्ट्राइक में आतंकी हसन और आतंकी वकास की मौत हुई थी.
कराची में भी जैश ए मोहम्मद का एक मरकज इफ्ता
साथ ही जैश ए मोहम्मद का खैबर पख्तूनख्वाह और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का प्रमुख आतंकी और भारत में वांटेड मसूद इलयास कश्मीरी भी इस समय जैश ए मोहमद की खैबर पख्तूनख़्वाह प्रांत एक दरसमंद स्थित मरकज तमीम दारी में रह रहा है.
इसी तरह पाकिस्तान के कराची में भी जैश ए मोहम्मद का एक मरकज इफ्ता स्थित है, जिसका क्षेत्रफल तकरीबन डेढ़ एकड़ तक फैला हुआ है और इस मरकज में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से जुड़े मुफ्ता और मौलवी छोटे-छोटे बच्चों का ब्रेनवाश करते हैं.
जैश-ए-मोहब्बद देश का कर रहा ब्रेश वॉश
साथ ही कराची स्थित ये मरकज जैश ए मोहम्मद का पब्लिकेशन और प्रोपेगंडा सेंटर भी है, जहां से सोशल मीडिया साइट्स पर प्रॉक्सी अकाउंट्स से जैश ए मोहम्मद की तरफ से रोजाना चिट्ठी जारी की जाती है और जैश ए मोहम्मद के सरगना आतंकी मसूद अजहर और उसके आतंकी भाइयों के पुराने भाषण भी इसी मरकज से फैलाए जाते हैं.
असल में आतंकी मसूद अजहर और उसके आतंकी भाइयों के पुराने भाषण रोजाना जिस सोशल मीडिया पेज से आधिकारिक रूप से फैलाए जाते हैं, वो सोशल मीडिया पेज पाकिस्तानी मोबाइल नंबर के साथ लिंक है और ये मोबाइल नंबर रोजिना नाम की महिला के CNIC नंबर के साथ जुड़ा है, जिसके CNIC पर कराची शहर के इसी मरकज के पास का पता दर्ज है.
जैश ए मोहम्मद कर रहा EasyPaisa वॉलेट
सूत्रों के मुताबिक, आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद इस समय कम से कम 2 हजार से ज़्यादा पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट EasyPaisa और SadaPay ऑपरेट कर रही है, जिसमें ये आतंकी संगठन ना सिर्फ इस समय मरकज के नाम पर चंदा इकट्ठा कर रहे हैं, बल्कि गाजा के नाम पर भी इन्ही डिजिटल वॉलेट में चंदा इकट्ठा कर रहे हैं
गाजा के नाम पर चंदा इकट्ठा करने के लिए इस समय आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद मोबाइल नंबर से लिंक EasyPaisa वॉलेट का उपयोग कर रहा है, जिसका मोबाइल नंबर खालिद अहमद नाम के व्यक्ति के नाम पर दर्ज है और इसका संचालन जैश सरगना आतंकी मसूद अजहर का बेटा हम्माद अजहर कर रहा है.
FATF की निगरानी से बच रहा पाकिस्तान
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ अमित दुबे के मुताबिक, आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद डिजिटल पेमेंट वॉलेट EasyPaisa और SadaPay का इस्तेमाल इसलिए कर रहा है, ताकि पाकिस्तानी FATF की निगरानी से बच जाए, क्यूंकि पाकिस्तान में संचालित ये दोनों मोबाइल वॉलेट प्लेटफॉर्म बिना बैंकिंग नेटवर्क के चलते हैं और वॉलेट टू वॉलेट और एजेंट की ओर से वॉलेट टू कैश की सुविधा देते हैं.
ऐसे में FATF द्वारा इनकी निगरानी करना बेहद मुश्किल है क्योंकि FATF सिर्फ उन्ही ट्रांजेक्शन को मॉनिटर कर सकता है जो या तो SWIFT के ज़रिए हुए हो या फिर बैंकिंग नेटवर्क के ट्रांजेक्शन हो.
वॉलेट से करोड़ों की राशि जमा
सूत्रों के मुताबिक, आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद का संचालन करने वाले मसूद अजहर के परिवार वाले एक बार में 7 से 8 मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करते है और हर तीन से चार महीने में नए मोबाइल वॉलेट को एक्टिवेट करके सारा पैसा एक मुश्त उस वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते हैं, यानी हर तीन चार महीने मोबाइल वॉलेट बदलते रहते हैं.
जिन मोबाइल वॉलेट का प्रयोग जैश सरगना मसूद अजहर के परिवार वाले और उसके आतंकी कमांडर करते हैं, उसमें तो करोड़ों की राशि जमा होती है, लेकिन जब इन पैसे को कहीं ट्रांसफर करना होता है या फिर कैश निकालना होता है तो थोड़ा-थोड़ा पैसा 10 से 15 मोबाइल वॉलेट में ट्रांसफर करके एजेंट के जरिए या तो निकाल लिया जाता है या फिर ऑनलाइन भेज दिया जाता है.
2000 से अधिक मोबाइल वॉलेट अकाउंट्स
सूत्रों के मुताबिक, आज जैश ए मोहम्मद के पास 2 हजार से अधिक मोबाइल वॉलेट अकाउंट्स हैं और हर महीने जैश ए मोहम्मद कम से कम 30 नए मोबाइल वॉलेट एक्टिवेट करता है, ताकि उसके इस पैसे के खेल में सोर्स अकाउंट किसी के भी हाथ ना लगे.
भारत की खुफिया एजेंसियां लगातार जैश ए मोहम्मद के इस ऑनलाइन चंदे के नेटवर्क को ट्रैक कर रही है और सूत्रों के मुताबिक, इस समय जैश ए मोहम्मद अपनी कुल फंडिंग का 80 प्रतिशत हिस्सा ऑनलाइन डिजिटल वॉलेट EasyPaisa और SadaPay से इकट्ठा कर रहा है.
सालाना 80 से 90 करोड़ रुपये का चंदा
साथ ही हर साल इन डिजिटल वॉलेट में 80 से 90 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शंस हो रहा है, जिसका प्रयोग जैश ए मोहम्मद हथियार खरीदने, ट्रेनिंग कैम्प का संचालन करने, प्रोपेगंडा करने और मसूद अजहर और उसके परिवार के महंगे गाड़ियों और समानों की खरीद के लिए किया जाता है. साथ ही सालाना 80 से 90 करोड़ रुपये का चंदा जो आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद की डिजिटल वॉलेट में इकट्ठा होता है, उसका एक बड़ा हिस्सा खाड़ी के मुस्लिम देशों से आता है.
EasyPaisa जैसी डिजिटल वॉलेट ना सिर्फ आतंकी संगठन जैसी ए मोहम्मद को FATF की निगरानी से दूर रखती है, बल्कि इसमें विदेशों से भी पैसा आ सकता है. ऐसे में जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन के लिए ये किसी डिजिटल हवाला नेटवर्क से कम नहीं है.
गाजा के नाम पर चंदा हो रहा इकट्ठा
ऑनलाइन चंदे के अलावा हर शुक्रवार को जैश ए मोहम्मद के आतंकी मस्जिदों में प्रतिबंध के बाद चंदा इकट्ठा करते हैं. एबीपी न्यूज के पास पिछले शुक्रवार को जैश ए मोहम्मद के आतंकियों की पाकिस्तान के ख़ैबरपख्तूनख़्वा प्रांत में चंदा इकट्ठा करने की एक वीडियो हाथ लगी है, जिसमें शुक्रवार की नमाज के बाद जैश ए मोहम्मद के आतंकी नोट गिन रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, ये चंदा गाजा के नाम पर इकट्ठा किया गया था और इसका संचालन जैश ए मोहम्मद का आतंकी और कमांडर वसीम चौहान उर्फ वसीम खान उर्फ अकबर कर रहा था.
साथ ही जैश ए मोहम्मद का अल रहमत ट्रस्ट अभी भी चंदा इकट्ठा करने में सक्रिय है और हर साल जैश के कुल चंदे का 6-7 प्रतिशत चंदा जो लगभग 10 करोड़ के आसपास बनता है. उसे जैश ए मोहम्मद के अल रहमत ट्रस्ट के जरिए इकट्ठा किया जाता है.
इन हाथों में बैंक अकाउंट संचालन
एबीपी न्यूज के हाथ लगे सबूतों के मुताबिक, पाकिस्तान के बहावलपुर में नेशनल बैंक में गुलाम मुर्तजा नाम के बैंक अकाउंट में जैश ए मोहम्मद के इस अल रहमत ट्रस्ट का चंदा इकट्ठा करने का कार्यक्रम चलता है और इस अल रहमत ट्रस्ट का संचालन मसूद अजहर और उसके भाई तल्हा अल सैफ के अलावा बहावलपुर का मोहम्मद इस्माइल करता है.
इसके अलावा लाहौर का रहने वाला जैश का आतंकी मोहम्मद फारूक, चितरल का निवासी फजल उर रहमान और कराची की दस्तगीर सोसाइटी में वाला रेहान अब्दुल रज्जाक भी संचालन करता है, जिनके मोबाइल नंबर चंदे के लिए जारी किए गए पोस्टर पर दर्ज हैं और पोस्टर में साफ-साफ लिखा है कि जैश-ए-मोहम्मद को ये चंदा जिहाद के लिए चाहिए.
नए हथियार खरीदने के लिए पैसा हो रहा इस्तेमाल
सूत्रों के मुताबिक, जैश ए मोहम्मद पिछले 2 साल से हर साल 100 करोड़ से ज़्यादा का चंदा आतंक की फंडिंग के लिए डिजिटल वॉलेट, बैंक ट्रांजेक्शंस और नोटों के जरिए इकट्ठा करता है, जिसका लगभग 50 फीसदी हिस्सा जैश ए मोहम्मद नए हथियार खरीदने के लिए करता है.
जैश ने जहां ये दावा किया है कि एक मरकज के निर्माण में 1 करोड़ 25 लाख पाकिस्तानी रुपये का खर्च आएगा, लेकिन अनुमान के मुताबिक मरकज बिलाल के साइज की एक मरकज बनाने में सिर्फ 40 से 50 लाख का ही खर्च आना चाहिए. साथ ही मरकज सुभानल्लाह और मरकज उस्मान ओ अली जैसी मरकज 10 करोड़ के आसपास में बनेगी, लेकिन इस बात की संभावना ना के बराबर है कि जैश सभी 313 मरकज जिसका निर्माण करने का दावा कर रहा है, वो सुभानल्लाह या फिर मरकज उस्मान ओ अली जैसी बनेगी.
हमास आतंकियों के लक्ष्य कदम पर चल रहा जैश ए मोहम्मद
जैश ए मोहम्मद इस आकर की 2 से 3 नई मरकज जरूर बना सकता है, जो मसूद और उसके परिवार के लिए सेफ हाउस का काम करेगी. ऐसे में अगर जैश सच में 313 मरकज बनाता है, जिसमें 3 मरकज सुभानल्लाह और उस्मान ओ अली जैसी बड़ी मरकज होगी और बाकि की 310 मरकज बिलाल जैसी होगी, तब भी जैश ए मोहम्मद का खुल खर्च निर्माण में 123 करोड़ के आसपास ही होगा.
ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि जैश ए मोहम्मद इस 400 करोड़ की फंडिंग के एक बड़े हिस्से का प्रयोग हाई टेक हथियार खरीदने में लगाएगा. साथ ही जिस तरह से जैश ए मोहम्मद , आतंकी संगठन हमास के नक्शे कदमों पर चलता है और हमास के टॉप आतंकियों के साथ जैश के टॉप आतंकियों की मुलाकात चल रही है, ऐसे में रिटायर्ड कर्नल शैलेंद्र सिंह के मुताबिक, इस बात का भी शक है कि इतनी बड़ी फंडिंग के बाद जैश अपने हथियारों के बेड़े में हमास की तरह घातक हमलवार ड्रोन को भी शामिल करे.
चंदा जुटाने के दो खास मकसद
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI अपने नेटवर्क से जैश ए मोहम्मद को ब्लैक मार्केट से सस्ती दरों में हथियार खरीदारी कराने में मदद करती है और आज जैश ए मोहम्मद के बेड़े में मशीन गन से लेकर रॉकेट लांचर और मोर्टार तक का जखीरा है, लेकिन जिस तरह से जैश ए मोहम्मद 313 नए मरकज बनाने के लिए लगभग 400 करोड़ का चंदा इकट्ठा करने की कैंपेन चला रहा है, ऐसे में जैश इस चंदे से आने वाली फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा हथियारों की खरीद पर करेगा.
साथ ही सूत्रों के मुताबिक, जैश ए मोहम्मद ने जिस तरह से पूरे पाकिस्तान में 313 नए मरकज के निर्माण करने का ऐलान किया है और करोड़ों का चंदा मांगा है, उसके पीछे जैश ए मोहम्मद के दो मकसद हैं.
1. जैश ए मोहम्मद, आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा की तरह पूरे पाकिस्तान में मरकज का एक जाल बिछाना चाहता है, जिससे उसके आतंक के ट्रेनिंग कैम्प एक जगह पर नहीं, बल्कि पूरे पाकिस्तान में चले. 2. भारत अगर भविष्य में फिर से ऑपरेशन सिंदूर की तरह जैश ए मोहमद के मरकज को निशाना बनाता है, तब भी सैकड़ो मरकज होने की वजह से उस पर कोई खास असर ना पड़े.
भारत की सुरक्षा एजेंसियों से बचने की प्लानिंग
सूत्रों का अनुमान है कि 313 मरकज बनने के बाद जहां उस्मान ओ अली और बहावलपुर के साइज की 3 से 4 मरकजों में मसूद अजहर और उसका परिवार आसानी से आलीशान से सेफ हाउस ही तरह रह सकेगा तो मीडियम साइज की मरकजों में ना सिर्फ नए आतंक के कैम्प खुलेंगे, बल्कि आतंकी मसूद अजहर और उसका परिवार पाकिस्तान के किसी भी कोने में भारत की सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बच कर छिप सकता है.
पाकिस्तान की सरकार जैसे इस समय मसूद और उसके परिवार के पाकिस्तान में ना होने का दावा कर रही है, वैसे ही आसानी से करती रहेगी. इसके अलावा 394 करोड़ का चंदा इकट्ठा करके मसूद अजहर ना सिर्फ बहावलपुर की मरकज सुभानल्लाह और मरकज उस्मान ओ अली की तर्ज पर अपने लिए कई आलीशान मरकज बना सकते हैं.
रक्षा विशेषज्ञ का अनुमान
साथ ही इतनी भारी भरकम रकम से कम से कम 10 साल तक मसूद अजहर और जैश ए मोहम्मद को हथियार खरीदने से लेकर आतंकी कैम्प चलाने में पैसे की कोई कमी नहीं होगी. ऐसे में रक्षा विशेषज्ञ रिटायर्ड कर्नल शैलेंद्र सिंह के मुताबिक, आज जरूरत है कि भारत जैश के इस नेटवर्क को बनने से पहले ही रोके, क्योंकि एक बार अगर जैश के 313 मरकज बन गए तो उसका काम आसान होगा.
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EXCLUSIVE: पाकिस्तान ने कर ली FATF को चकमा देने की तैयारी, आतंकियों को देगा 391 करोड़ का चंदा, जानें पूरा प्लान
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