Exclusive: ISI की खतरनाक साजिश, मिडिल ईस्ट से नेपाल होते हुए भारत तक फैला जासूसी का जाल, खुल गया PAK का काला चिट्ठा

by Carbonmedia
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ISI Spy Ansarul Miya: ABP न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की चार्जशीट के मुताबिक ISI अब नेपाल के नागरिकों को मिडिल ईस्ट में ब्रेनवॉश कर भारत के खिलाफ जासूसी के काम में लगा रही है.
ABP न्यूज़ के पास वो दस्तावेज मौजूद हैं, जिनसे साफ है कि पाकिस्तान की ISI मिडिल ईस्ट के देशों में मौजूद अपने एजेंटों के जरिए नेपाल के लोगों को अपने जाल में फंसा रही है. उन्हें मानसिक रूप से तैयार किया जा रहा है ताकि वे भारत की सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारियां इकट्ठा करके पाकिस्तान तक पहुंचा सके. 
नेपाली नागरिकों को फंसा रही ISI जांच में ये भी सामने आया है कि ISI के एजेंट खासतौर पर उन नेपाली नागरिकों को टारगेट कर रहे है जो कामकाज के सिलसिले में मिडिल ईस्ट के देशों में रह रहे है. उन्हें पैसों और दूसरी सुविधाओं का लालच देकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है. ये लोग भारत आकर सेना की गतिविधियों पर नजर रखते है और गोपनीय जानकारी इकट्ठा कर ISI तक पहुंचाते है. 
मजनू का टीला से कैसे पकड़ा गया पाकिस्तानी जासूस ? दरअसल केंद्रीय जांच एजेंसियों को कुछ समय से इनपुट मिल रहे थे कि दिल्ली में एक नेपाली मूल का शख्स भारतीय सेना से जुड़े गोपनीय दस्तावेज इकट्ठा कर पाकिस्तान भेजने की तैयारी कर रहा है. इन इनपुट को पुख्ता करने के लिए स्पेशल सेल ने एक टीम बनाई और नजर रखनी शुरू की. 14 फरवरी 2025 की रात को पुलिस को एक मुखबिर ने बताया कि एक जासूस मजनू का टीला से नेपाल के लिए रवाना होने वाला है. दिल्ली के आउटर रिंग रोड के पास स्पेशल सेल की टीम ने ट्रैप लगाया और रात करीब 12:20 बजे कंधे पर काले रंग का बैग लेकर संदिग्ध को आते देखा गया. टीम ने तुरंत उसे पकड़ लिया. पूछताछ में उसने अपना नाम अंसारउल मिया अंसारी बताया, जो नेपाल के बारा जिले का रहने वाला था.
स्पेशल सेल की टीम ने जब अंसारउल मिया के बैग की तलाशी ली तो उसमें तीन सेट में कुल 48 दस्तावेज बरामद हुए, जिनमें SECRET, CONFIDENTIAL और CLASSIFIED जैसी सेना से जुड़ी जानकारियां थी. साथ ही एक पीला लिफाफा भी मिला, जिस पर दिल्ली के पते के साथ एक महिला का नाम लिखा हुआ था. 
आरोपी अंसारउल मिया ने बताया कि वो साल 2008 से कतर में काम कर रहा था, जहां उसकी मुलाकात खुर्रम नाम के पाकिस्तानी से हुई. खुर्रम ने उसे कराची में अपने हैंडलर यासिर और बाबर से मिलवाया. वही से भारत के खिलाफ जासूसी की प्लानिंग शुरू हुई. 
अंसारउल मिया का डिस्क्लोजर स्टेटमेंटमैं मूल रूप से नेपाल का रहने वाला हूं और 2008 से कतर में नौकरी कर रहा हूं. मैं खुर्रम के बुलाने पर पाकिस्तान घूमने गया था और कराची में 9 जून से 6 जुलाई 2024 तक रहा, जहां रुकने का इंतज़ाम भी खुर्रम ने करवाया था. कराची में खुर्रम ने पाकिस्तानी हैंडलर यासिर से मिलवाया. यासिर घरेलू बातों के अलावा धार्मिक बातें भी करता था और भारत मे बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले के भी कई वीडियो फ़ोन पर दिखाए. वहां से लौटने के बाद भी मेरी लगातार यासिर से फ़ोन पर बात होती रही. यासिर ने फ़ोन पर ही किसी बाबर नाम के पाकिस्तानी हैंडलर से बात करवाई और बताया कि वो पाकिस्तानी फौज में बड़े अफसर है. 
‘भारत जाकर उन्हें नेपाल के रास्ते पाकिस्तान ले आऊं तो मुझे…’
अंसारउल मिया ने अपने डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में कहा कि बाबर ने बातों-बातों में ये भी जाना कि मैं भारत के बॉर्डर से कितना दूर रहता हूं और मेरा भारत में आना जाना होता है या नही. उसके कुछ दिन बाद यासिर ने बताया कि भारत से उन्हें कुछ दस्तावेज मंगवाने हैं जो सीधे पाकिस्तान नहीं आ सकते इसलिए अगर मैं भारत जाकर उन्हें नेपाल के रास्ते पाकिस्तान ले आऊं तो मुझे इसके बदले 50 हज़ार रुपये मिलेंगे. मैंने पूछा कि क्या कागज़ हैं तो फिर यासिर ने बाबर से बात करवाई, जिन्होंने फिर विस्तार से बताया कि भारतीय फौज के संबंध में कुछ जानकारी है जो भारत के खिलाफ प्लानिंग करने में उनके लिए मदद‌गार है और ये डॉक्यूमेंट उनके आदमी ने दिल्ली में हासिल तो कर लिए हैं किन्तु भारत में ही डिलीवरी देने को कह रहा है जिसके लिए मेरी मदद की जरूरत है. 
पाकिस्तानी जासूस ने आगे बताया कि यासीर ने मुझे फोन किया कि दिल्ली का कोई एड्रेस बता दूं ताकि मेरे दिल्ली जाने से पहले ही कागजात वाली CD भिजवा देंगे, क्योंकि जो उन्हें CD में कागजात भेज रहा है वो आमने सामने मिलने से मना कर रहा है. मैंने अपने जानकार पिंटू जो दिल्ली का रहने वाला है और मेरे साथ क़तर में रहा था, उससे बात की और उसे बताया कि दिल्ली घूमने आ रहा हूं और वहीं किसी से कोई कागज़ भी लेने है, जिसके लिए दिल्ली का कोई लोकल पता चाहिए. इस रिक्वेस्ट पर पिंटू ने अपना पता दे दिया. मैंने ये पता खुर्रम, यासीर और बाबर को भेज दिया और फिर 4 फरवरी को डाक्यूमेंट्स वाली CD पिंटू के पते पर भिजवाने और 5 फरवरी को दिल्ली जाकर CD लेने का प्लान बनाया. इसके बाद मैने पिंटू से बात की और 5 तारीख को दिल्ली आने का प्रोग्राम बताया. 
‘मैं डर गया कि खुद ही पाकिस्तान मेल करूंगा तो फंस सकता हूं’उसने आगे बताया कि मैं 4 फरवरी को लखनऊ पहुंचा जहां बस अड्डे पर एक सौकत नाम का आद‌मी यासीर का नाम लेकर मिला और कुछ देर मेरे साथ रहा, क्योंकि वो कहीं से डाक्यूमेंट्स मंगा रहा था. काफी देर बाद उसने बताया कि अभी डॉक्यूमेंट का इंतज़ाम नही हो पाया है और वे सारे डॉक्यूमेंट दिल्ली में ही मिल जाएंगे. मैं 5 फरवरी को दिल्ली आया और पिंटू को दिल्ली ISBT के पास बुला कर CD वाला लिफाफा ले लिया और इसका फोटो खुर्रम व यासिर को भेजा. जब खुर्रम व यासिर ने मुझे कहीं से लैपटॉप लेकर मेल करने को कहा तो मैं डर गया कि कहीं खुद ही पाकिस्तान मेल करूंगा तो फंस सकता हूं इसलिए मैंने खुर्रम, यासीर व बाबर को बताया कि मुझे मेल करनी नहीं आती वो किसी आदमी को भेज दें जो मुझ से CD लेकर मेल कर देगा. 
अंसारउल मिया ने आगे बताया कि इसके बाद वो लोग किसी को मेरे पास भेजने का इंतजाम करते रहे और इसी में 6-7 दिन बीत गए, पर कोई आया नहीं. फिर 11 फरवरी को उन्होंने मुझे जामिया नगर में आजम से मिलने भेजा कि वो कुछ पैसे देगा और CD को मेल भी कर देगा. जामिया पहुंचकर काफी कोशिशों के बाद भी आजम से मुलाकात नहीं हो पायी और उस दिन भी डॉक्यूमेंट e-mail नहीं हो पाए तो उन्होंने कहा कि कोई मेल करने वाला नही मिल पा रहा है तो कम से कम इस CD से डॉक्यूमेंट का प्रिंट निकाल कर नेपाल ले जाऊं, जहां से मैं इन डाक्यूमेंट्स को आसानी से पाकिस्तान ला सकता हूं और डॉक्यूमेंट का प्रिंट निकालने के बाद CD को तोड़कर उसका विडियो बनाकर भेजूं. फिर मैंने किसी दुकान से CD से डॉक्यूमेंट के प्रिंट निकलवाए. इसके बाद 11 तारीख की रात को ही मैंने CD को तोड़कर उसका वीडियो बनाकर बाबर को भेजा. इसके बाद मैंने अगले दिन यमुना नदी के किनारे जाकर वो टूटी हुई CD फेंक दी. 
रांची का रहने वाला अखलाक आज़म भी साजिश में शामिल थापुलिस की जांच में सामने आया है कि रांची का रहने वाला अखलाक आज़म नामक शख्स भी इस साजिश में शामिल था. वो खाड़ी देशों में वीजा दिलाने का काम करता है और खुर्रम से जुड़ा हुआ था. उसे दिल्ली में दस्तावेज मेल करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसके बदले उसे 30 हज़ार रुपये मिलने थे. हालांकि वो समय पर दिल्ली नहीं आ पाया, इसलिए अंसारउल मिया ने खुद दस्तावेजों के प्रिंट निकालकर नेपाल ले जाने का फैसला लिया. 
इस मामले में पुलिस ने अखलाक आज़म को भी गिरफ्तार किया है और उसके मोबाइल से खुर्रम के साथ चैट और वॉइस मैसेज बरामद हुए है. ये मैसेज दस्तावेज भेजने, लेने और मेल करने को लेकर है. अंसारउल मिया और अखलाक आज़म के मोबाइल फोन से पाकिस्तान के नंबरों से वॉट्सऐप चैट्स और वॉइस नोट्स बरामद हुए हैं.
इन नंबरों की लोकेशन कराची, पाकिस्तान में पाई गई है. दोनों के फोन से voice samples लिए गए है, जिन्हें जांच के लिए FSL भेजा गया है. इसके अलावा भारतीय सेना की खुफिया शाखा DGMI ने भी दस्तावेजों की पुष्टि की है. DGMI के मुताबिक बरामद दस्तावेजों में संवेदनशील, गोपनीय और सेना की रणनीति से जुड़ी अहम जानकरियां थी.  मामले की जांच अभी जारी है आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं.
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