Fertility Trend in Delhi after 35: दिल्ली में बढ़ रहा देर से मां बनने का ट्रेंड, चौंका देंगे आंकड़े, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

by Carbonmedia
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Delayed Motherhood Delhi: आपने यह खबर जरूरी सुनी होगी कि महिलाएं देर से मां बनने का फैसला कर रही हैं. दिल्ली की 2024 की जन्म और मृत्यु संबंधी रिपोर्ट में कई अहम तथ्य सामने आए हैं. इस रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि राजधानी में मां बनने की औसत उम्र धीरे-धीरे बढ़ रही है. पहले जहां ज़्यादातर महिलाएं 20 से 29 साल की उम्र में मां बनती थीं, वहीं अब 30 और खासकर 35 साल से ज़्यादा उम्र में भी मां बनने का रुझान बढ़ता जा रहा है.
मां बनने में देरी
रिपोर्ट बताती है कि 2024 में 35 साल से ऊपर मां बनने वाली महिलाओं का आंकड़ा 8.78 प्रतिशत तक पहुंच गया. 2011 से लगातार यह प्रतिशत बढ़ रहा है. इसके बावजूद 25 से 29 साल की उम्र अब भी मां बनने के लिए सबसे आम मानी जा रही है. इस आयु वर्ग में करीब 37 प्रतिशत महिलाएं मां बनीं. वहीं 20 से 24 साल की उम्र में मां बनने वाली महिलाओं की संख्या लगभग 27 प्रतिशत रही. यह बदलाव साफ दिखाता है कि समाज और परिवार की सोच पहले की तुलना में बदल रही है.
दरअसल, देर से मां बनने के पीछे कई सामाजिक और आर्थिक कारण जुड़े हुए हैं. अब लड़कियां पहले से ज़्यादा पढ़ाई कर रही हैं. करियर बनाने पर ध्यान दे रही हैं और शादी की उम्र भी पहले की तुलना में बढ़ गई है. इसके अलावा आर्थिक स्थिरता हासिल करने के बाद ही ज्यादातर लोग परिवार शुरू करने का फैसला लेते हैं. यही वजह है कि बड़ी उम्र में मां बनने का ट्रेंड बढ़ता दिख रहा है.
क्या हैं चुनौतियां?
हालांकि एक्सपर्ट इस ट्रेंड को लेकर पूरी तरह सहज नहीं हैं. दिल्ली की स्त्री-रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रुचिका शर्मा कहना है “35 साल से ऊपर की उम्र में प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह के खतरे भी होते हैं. इस उम्र में डिलीवरी में परेशानी आ सकती हैं. बच्चे में जेनेटिक बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है और मां की सेहत पर भी ज्यादा दबाव पड़ता है. खासकर शुगर और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि समय पर हेल्थ चेकअप और बेहतर मेडिकल सुविधा मिलने पर इन खतरों को काफी हद तक कम किया जा सकता है.”
लिंगानुपात गिर रहा 
रिपोर्ट में एक और गंभीर पहलू सामने आया है. जन्म दर लगातार कम हो रही है और लिंगानुपात भी गिर रहा है. 2022 में जन्म के समय लिंगानुपात 929 लड़कियां प्रति 1000 लड़के था, जो 2023 में घटकर 922 रह गया और 2024 में और नीचे जाकर 920 हो गया. एक्सपर्ट का मानना है कि यह गिरावट महज़ संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे कहीं न कहीं अवैध भ्रूण लिंग जांच जैसी प्रवृत्तियां जिम्मेदार हो सकती हैं. दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरी इलाकों में यह स्थिति बेहद चिंताजनक है.
रिपोर्ट ने यह भी दिखाया कि मां की शिक्षा का स्तर परिवार के आकार पर गहरा असर डालता है. चौथे या उससे ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली माताओं में सबसे अधिक वे महिलाएं थीं जिनकी पढ़ाई मैट्रिक से कम थी. इसके विपरीत, ग्रेजुएट और उससे ऊपर पढ़ी-लिखी महिलाओं में यह आंकड़ा बहुत कम पाया गया. इसका सीधा मतलब है कि शिक्षा महिलाओं को परिवार की बेहतर प्लानिंग और स्वास्थ्य संबंधी फैसले लेने में सक्षम बनाती है.
कुल मिलाकर, दिल्ली की यह रिपोर्ट दोहरी तस्वीर सामने लाती है. एक तरफ जहां मां बनने की उम्र बढ़ रही है और महिलाएं देर से मातृत्व अपना रही हैं, वहीं जन्म की संख्या और लिंगानुपात दोनों ही घट रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलते ट्रेंड को सुरक्षित बनाने के लिए महिलाओं को सही जानकारी, जागरूकता और समय पर चिकित्सा सुविधा देना बेहद जरूरी है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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