Gujarat: AAP विधायक चैतर वसावा को कोर्ट से झटका, नहीं मिली जमानत, जानें- पूरा मामला

by Carbonmedia
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आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक चैतर वसावा की नियमित जमानत अर्जी खारिज हो गई. नर्मदा जिले की एक अदालत ने ये अर्जी सोमवार (14 जुलाई) को खारिज की. वसावा को हत्या के प्रयास से जुड़े एक मामले में 5 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. 
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए.वी. हिरपारा ने अभियोजन पक्ष की उन दलीलों पर विचार किया, जिसमें कहा गया कि वसावा के खिलाफ 2014 से अब तक 18 अलग-अलग आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं और जमानत मिलने की स्थिति में वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.
विधायक ने जमानत न मिलने पर धमकी की बात कही- अदालत
अदालत ने यह भी माना कि एक ऑडियो-वीडियो सामने आया है, जिसमें AAP विधायक को यह कहते हुए सुना गया कि यदि उन्हें जमानत नहीं मिली तो वे सरकारी कार्यालयों और जेलों को नुकसान पहुंचाएंगे. पीटीआई के अनुसार, न्यायालय ने टिप्पणी की कि वसावा ने भले ही यह दावा किया हो कि पूर्व के कई मामलों में उन्हें बरी कर दिया गया है, लेकिन उन्होंने एक भी फैसले की प्रमाणिक प्रति पेश नहीं की. अदालत ने 2023 में वसावा को मारपीट के एक मामले में 6 महीने की सजा और बाद में दी गई परिवीक्षा का भी जिक्र किया.
विधायक पर इन धाराओं में केस है दर्ज
विधायक वसावा पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 109 के तहत हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा, बीएनएस की धारा 79 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 351(3) (आपराधिक धमकी), 352 (जानबूझकर अपमान) और 324(3) (संपत्ति को नुकसान पहुंचाना) जैसी धाराओं के तहत भी आरोप लगे हैं. यह घटना वसावा के निर्वाचन क्षेत्र डेडियापाड़ा में एक आधिकारिक बैठक के दौरान हुई थी, जब वे अपने नामित व्यक्ति को एक समिति में शामिल न किए जाने पर नाराज हो गए.
प्राथमिकी के अनुसार, बैठक के दौरान वसावा ने पहले सागबारा तालुका पंचायत की महिला अध्यक्ष को अपशब्द कहे और जब डेडियापाड़ा तालुका पंचायत अध्यक्ष संजय वसावा ने आपत्ति जताई तो उन पर कथित तौर पर मोबाइल फेंक कर हमला किया, जिससे उनके सिर में चोट आई. शिकायत में यह भी कहा गया है कि विधायक ने कांच के टुकड़े उठाकर जान से मारने की धमकी दी, लेकिन मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक लिया. अदालत ने इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय दिया कि इस स्तर पर जमानत देना न्यायोचित नहीं होगा.

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