Hariyali Teej 2025 Lokgeet: हरियाली तीज के प्रसिद्ध लोकगीत, जो बनाते हैं इस त्योहार को खास

by Carbonmedia
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Hariyali Teej 2025 Lokgeet: हरियाली तीज का त्योहार सुहागिनो के लिए बहुत अहमीयत रखता है. इस दौरान वह निर्जला व्रत कर पति की दीर्धायु और अच्छे सुहाग के लिए महादेव और माता पार्वती की पूजा करती है. हरियाली तीज के दिन झूला झूलने और लोकगीत गाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है.
स्त्रियां मेहंदी रचा कर सोलह श्रंगार करती हैं और पूजा के बाद सहेलियों संग झूला झूलती है, इस दौरान कई पारंपरिक लोकगीत गाए जाते हैं. ऐसे में हम आपके लिए कई खूबसूरत से लोकगीत लाए हैं.
1. आया हरियाली तीज का त्यौहार
आया हरियाली तीज का त्यौहार,
महीना सावन का,
बाँध घुंघरू नाचे बहार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
उमड़ घुमड़ घनघोर घटाएं,
रिमझिम बुँदे रस बरसाए,
गावे मेघा मेघ मल्हार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
कोकिल चातक मोर चकोरे,
बुलबुल जुगनू तितलियाँ भोरें,
नाचे झूमे करे गुंजार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
वन वन में फुलवारी फुले,
राधा माधव झूला झूले,
फूलों कलियों का श्रृंगार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
सावन झूला दर्शन कीजे,
मधुप युगल हरि गायन कीजे,
जय बोलो युगल सरकार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
आया हरियाली तीज का त्यौहार,
महीना सावन का,
बाँध घुंघरू नाचे बहार,
महीना सावन का,
आया हरियाली तीज का त्योहार,
महीना सावन का ॥
2. झुला झूल रही सब सखिया
झुला झूल रही सब सखिया आई हरयाली तीज आज,
राधा संग में झुले कान्हा झूमे अब तो सारा भाग,
नैनं भर के रस का प्याला देखे श्यामा को नदं लाला,
घन बरसे उमड़ उमड़ के देखो नित करे ब्रिज बाला,
छमछम करती ये पायलियाँ  खोले मन के सारे राज,
झुला झूल रही सब सखिया आई हरयाली तीज आज,
सावन की आई बहार टप टप बरसे रे बोहार,
कोयल कुक उठी है कु कु गाये पपीहा मल्हार,
गाये राधा कृष्ण संग संग में गुने बंसी की आवाज,
झुला झूल रही सब सखिया आई हरयाली तीज आज,
3. सावन दिन आ गए
अरी बहना! छाई घटा घनघोर, सावन दिन आ गए.
उमड़-घुमड़ घन गरजते, अरी बहना! ठण्डी-ठण्डी पड़त फुहार.
सावन दिन…
बादल गरजे बिजली चमकती, अरी बहना! बरसत मूसलधार.
सावन दिन…
कोयल तो बोले हरियल डार पे, अरी बहना! हंसा तो करत किलोल.
सावन दिन…
वन में पपीहा पिऊ पिऊ रटै, अरी बहना! गौरी तो गावे मल्हार.
सावन दिन…
सखियां तो हिलमिल झूला झूलती, अरी बहना! हमारे पिया परदेस.
सावन दिन…
लिख-लिख पतियां मैं भेजती, अजी राजा सावन की आई बहार.
सावन दिन…
हमरा तो आवन गोरी होय ना, अजी गोरी! हम तो रहे मन मार.
सावन दिन…
राजा बुरी थारी चाकरी,
अजी राजा जोबन के दिन चार
सावन दिन…
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