एचडीएफसी बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और प्रबंध निदेशक शशिधर जगदीशन की याचिका पर कोई आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया. जगदीशन ने अपने खिलाफ दर्ज एक एफआईआर में राहत की मांग की थी, लेकिन जजों ने कहा कि 14 जुलाई को मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में लगा है. याचिकाकर्ता वहां अपनी बात रखें.
देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र बैंक के एमडीजगदीशन के खिलाफ बॉम्बे के लीलावती हॉस्पिटल को चलाने वाले ट्रस्ट ने एफआईआर दर्ज करवाई है. लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट का आरोप है कि उसके यहां 14.42 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई है. इसमें से 2.05 करोड़ रुपये जगदीशन को दिए गए. यह रकम ट्रस्ट में चेतन मेहता ग्रुप का वर्चस्व बढ़ाने में मदद करने के लिए दी गई है.
दूसरी तरफ बैंक का कहना है कि यह एफआईआर जगदीशन को बदनाम करने के लिए की गई है. ट्रस्ट से जुड़े लोगों पर 1995 में लिया गया 65.22 करोड़ रुपये का लोन बकाया है. इसकी वसूली से बचने के लिए झूठा मुकदमा दर्ज करवा कर दबाव बनाया जा रहा है. ट्रस्ट पर वर्चस्व को लेकर दो खेमों में चल रही लड़ाई में बेवजह बैंक को घसीटा जा रहा है.
जगदीशन की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बॉम्बे हाई कोर्ट के 3 जज अब तक मामले से खुद को अलग कर चुके हैं. इसलिए, जगदीशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पी एस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली 2 जजों की बेंच ने कहा कि 14 जुलाई को मामला हाई कोर्ट में एक बार फिर लगा है. अगर उस दिन भी सुनवाई न हो तो आप सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं.
HDFC बैंक के सीईओ की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनी, पैसों के हेरफेर के आरोप से जुड़ा है मामला
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