कुल्लू, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला की मणिकर्ण घाटी के मलाणा गांव में तीन दिन पहले हुई भारी बारिश ने खूब तबाही मचाई. नाले में आई बाढ़ के कारण जहां मलाणा बांध को नुकसान पहुंचा तो वहीं मलाणा गांव की ओर जाने वाला लकड़ी का पुल भी बह गया. सरकारी मदद की आस छोड़ चुके ग्रामीणों ने एक बार फिर से खुद मिलकर लकड़ी का पुल बनाने का बीड़ा उठा लिया है.
ऐसा ग्रामीण पहली बार नहीं कर रहें हैं बल्कि साल 2024 अगस्त माह में जब यहां बाढ़ आई थी, उस दौरान भी गांव पुल बहने से संपर्क कट गया था, तब भी ग्रामीणों ने मिलकर लकड़ी का पुल तैयार किया था. ग्रामीणों ने इस साल भी सरकार की राह नहीं देखी और पुल निर्माण के कार्य में जुट गए हैं, ताकि गांव में आसानी से आया और जाया का सके.
राशन पहुंचना भी किसी चुनौती से नहीं है कम
गौर रहे बीते साल से लोगों को पुल और सड़क न होने का खामियाजा महंगे दामों पर राशन लेकर भुगतना पड़ रहा है. पिछले वर्ष मलाणा में आई बाढ़ से बांध के पास सड़क पूरी तरह से टूट गई थी. इसके बाद मलाणा बांध के पास एक झूला लगाया गया लेकिन झूले के सहारे गांव तक राशन पहुंचना भी किसी चुनौती से कम नहीं है.
100 रुपये की चीज को गांव तक पहुंचते पहुंचते हो जाती है 300 तक
मलाणा गांव के लोगों को राशन खरीदने के लिए जरी पहुंचना पड़ता है, जहां से जीप के माध्यम से ये राशन पहले मलाणा बांध तक लाया जाता है. इसके बाद नदी पर बने झूले के सहारे दूसरी तरफ ले जाया जाता है. फ़िर मजदूरों की सहायता से राशन गांव तक पहुंचाया जाता है. ऐसे में 100 रुपए की चीज को गांव तक पहुंचते पहुंचते 300 तक की हो जाती है.
ग्रामीण मिलकर लकड़ी का पुल बनाने में हैं जुटे
मलाणा के पूर्व प्रधान भागी राम का कहना है कि सड़क न होने के कारण सारा राशन मजदूरों के द्वारा पैदल लाया जा रहा है. इस साल फिर से यहां पर लकड़ी का पुल बह गया है और ग्रामीण मिलकर लकड़ी का पुल बनाने में जुटे हुए हैं. उम्मीद है कि बुधवार शाम तक लकड़ी का पुल बन कर तैयार हो जाएगा, ताकि लोगों को जरी जाने में आसानी हो सके.
इसके अलावा सड़क न होने से मरीजों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है. 1000 रुपये का रसोई गैस सिलेंडर मलाणा गांव तक पहुंचते पहुंचते 22 00 रुपये का हो जाता है. हालांकि बीते वर्ष ग्रामीणों ने ख़ुद गांव में हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के लिए हेलीपैड भी तैयार किया था, लेकिन हेलीकॉप्टर की लैंडिंग न होने से उनकी ये मेहनत भी बेकार गई.
Himachal: हिमाचल प्रदेश के मलाणा गांव में फिर तबाही, ग्रामीणों ने खुद बनाया पुल
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